SHIV KA SAWAN SPECIAL: रोहित कश्यप, मुंगेली। छत्तीसगढ़ अपनी परंपराओं के लिए जाना जाता है…यहां हजारों देवी-देवता बसते हैं. हजारों मंदिर हैं, लेकिन इन सब में एक ऐसा भी मंदिर है, जिसके बारे में आपने न कहीं देखा होगा और न ही सुना होगा. इस मंदिर को अब तक किसी तरह ख्याति प्राप्त भी नहीं है, लेकिन इस पर शासन और प्रशासन की नजर जाए तो इसे विख्यात होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. जानकारों के मुताबिक यह प्राचीन मंदिर भारत ही नहीं, अपितु विश्व का ऐसा एकलौता मंदिर है, जो भगवान शिव पर आधारित है.

क्या है मंदिर का इतिहास और रहस्य

बता दें कि यह शिव जी का यह अनोखा मंदिर मुंगेली जिला मुख्यालय से महज 12 किमी की दूरी पर नारायणपुर नामक गांव में स्थित है, क्या है मंदिर का इतिहास और रहस्य. देखिए सावन महीने पर भगवान शिव की यह प्राचीन मंदिर का दृश्य और माने जाने वाले रहस्य.

आपने शायद न क़भी सुना और न ही कभी देखा होगा

सावन का पावन महीना चल रहा है. सावन के महीने में वैसे तो सभी दिन खास होता है, लेकिन सोमवार का अलग महत्त्व होता है. सावन के महीने में भगवन शिव की आराधना के लिए सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है. छत्तीसगढ़ में भी सभी मंदिरों में भक्तों का ताता लगा रहता है, लेकिन हम आपको ऐसे मंदिर से इस सावन के महीने में बताएंगे, जिसके बारे में आपने शायद न क़भी सुना और न ही कभी देखा होगा.

विश्व का इकलौता मंदिर

भले ही यह विश्व का इकलौता मंदिर है, लेकिन इस मंदिर को किसी तरह की ख्याति प्राप्त नही होने की वजह से यहां केवल आसपास के लोग और जो इस मंदिर पर आस्था रखते हैं. बस वो ही पूजा अर्चना के लिए पहुचते हैं. यह प्राचीन मंदिर छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर नारायणपुर गांव में तालाब किनारे स्थित है. यह भगवान शिव पर आधारित मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण कब किसने बनाया यह किसी को स्पष्ट जानकारी नहीं है.

6वीं शताब्दी में कराया गया था निर्माण

ग्रामीणों ने बताया कि उनके पूर्वजों ने जो उन्हें बताया है उसी मान्यता पर इस मंदिर का निर्माण रतनपुर व भोरमदेव के समकालीन नागवंशी राजाओं द्वारा 6वीं शताब्दी से 10 वीं शताब्दी के द्वापर युग के 6 मासी रात में कराया गया है. यह मंदिर करीब हजारो साल पुराना बताया जाता है. इस मंदिर की बनावट भी काफी अनोखी और अद्भुत है. गांव के बड़े सबसे पुराने तालाब के मेढ़ पर बनी यह मंदिर अपने आप में एक कहानी रचती है, क्योंकि तालाब के मेढ़ पर प्राचीन मंदिर का निर्माण अकस्मात हुआ है.

देवी-देवताओं की मूर्तियां

इस मंदिर के निर्माण में चुना मिट्टी व बेल के रस का प्रयोग किया गया है. यही वजह है कि आज भी यह मंदिर मजबूती के साथ खड़ा है. मंदिर की बाहरी दीवारों में हस्तशिल्प से बनाई गई कई देवी-देवताओं की मूर्तियां मंदिर की खूबसूरती को प्रदर्शित करती है. वहीं मंदिर में बने गवाक्ष (खिड़की) यह बात भी स्पष्ट करती है कि ऐसा मंदिर प्राचीन मंदिरों में बहुत कम देखने को मिलता है. वहीं मंदिर की चारों ओर राजहंस की बनी मूर्ति परिक्रमा करती नजर आती है.

निर्वस्त्र होकर कलश लगाने के लिए रात्रि में चढ़ा था

ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर में एक युवक निर्वस्त्र होकर कलश लगाने के लिए रात्रि में चढ़ा था, तब युवक की बहन उसे निर्वस्त्र स्थिति में देख ली थी, जिसपर वह हया की वजह से गिरकर अपनी जान दे दी. उसके बाद यहां पीपल के बड़े वृक्ष हुआ था, जो मंदिर को छांव देता था. बाद में यह पेड़ गिरकर नष्ट हो गया, जिसे बुजुर्गों ने देखा भी था.

सालों पुरानी 3 शिवलिंग और नन्दी

यही वजह है कि उसके बाद कभी इस मंदिर पर कलश नहीं लग पाया. वहीं जब आप इस मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे, तब आपको सालों पुरानी 3 शिवलिंग और नन्दी दिखाई देंगे. वहीं इसके ठीक ऊपर कई देवी-देवताओं का हस्तशिल्प से चित्रण किया गया है.

गर्भ गृह में दीवारों पर मिथुन मूर्तियां

यह मंदिर आखिर विश्व का एकमात्र मंदिर क्यों इसके बारे में हम आपको बताते हैं कि आपने विश्व की कई मंदिर देखी होगी. यहां तक की खजुराहो और भोरमदेव की मंदिर में जहां आपको मंदिर की बाहरी दीवारों पर मिथुन मूर्ति देखने को मिलती है, लेकिन इस मंदिर के गर्भ गृह में ही अंदर दीवारों पर मिथुन मूर्तियां अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

बर्तन गिरने, घुंघरू, सर्प फुंकार जैसी आवाजें

यही वजह है कि यह भारत ही नहीं विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां मंदिर के गर्भ गृह में मिथुन मूर्तियों का चित्रण किया गया है. इस मंदिर के गर्भ गृह में जाने से आपको बर्तन गिरने, घुंघरू, सर्प फुंकार जैसी आवाजें सहित कई तरह की आवाज सुनाई देगी, लेकिन यह आवाज कहां से और कैसे आती हैं, यह अब भी रहस्य बना हुआ है.

मंदिर के ठीक ऊपर चौपर बना

इस मंदिर के ठीक ऊपर चौपर बना हुआ है. जहां लोग पूजा अर्चना करके मनोरंजन भी करते हैं. यहां आसपास के लोग अपनी मनोकामना लेकर जब यहां आते हैं, वो भगवान भोलेनाथ पूर्ण करते हैं. यही वजह है कि लगातार यहां भक्तों की भीड़ बढ़ती जा रही है.

तहसीलदार राम विजय शर्मा ने की खोज

भगवान शिव के इस प्राचीन मंदिर का रहस्य लोगों को मालूम तब चला जब मुंगेली के तत्कालीन तहसीलदार राम विजय शर्मा ने यहां बने मिथुन मूर्तियों की खोज की. रामविजय शर्मा पुरातत्व विद और इतिहासकार भी हैं.

उन्होंने बताया कि यह भारत का नहीं, अपितु विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसके गर्भ गृह में मिथुन मूर्तियों का चित्रण हैं. इतिहास में डॉक्टरेट व पुरातत्व से जुड़े राम विजय शर्मा जब 2016 में मुंगेली तहसीलदार थे, तब वो इस क्षेत्र के जनपद सदस्य शिवकुमार बंजारा के निवास स्थान से भोजन उपरांत जब इस मंदिर के दर्शन करने पहुचकर बाहर से ही जा रहे थे, तब उन्हें अंदर गर्भ गृह में दर्शन करने की जिद पर जब वो अंदर गए और वहां का नजारा देखा तब उन्होंने ऐसे अद्भुत नजारे देखकर दंग हो गए.

मूर्ति बनाने की क्या थी वजह ?

वह पुरातत्व से जुड़े और इतिहास में पीएचडी करने वाले थे, तो उन्होंने तुरंत बताया कि ऐसा मंदिर भारत ही नहीं विश्व का अनोखा मंदिर है, जिसके गर्भ गृह में मिथुन मूर्तियों का चित्रण है. इस पर उन्होंने विचार करते हुए बताया कि उस दौरान जब मंदिर का निर्माण किया जा रहा था, तो निर्माण करने वाले शासक इन मूर्तियों का चित्रण इस आशय से किए होंगे कि उस समय लोग अपने घर परिवार पत्नी बच्चों को त्याग कर चले जाते थे, तब राजा ने सोचा होगा कि ऐसे में राज्य को कैसे खत्म होने से बचाया जाए, तब इस तरह मंदिर के गर्भ गृह में मिथुन मूर्तियों का हस्तशिल्प किया गया होगा.

क्यों बनाई गई इस तरह की मूर्तियां ?

उन्होंने कहा कि सोचा होगा कि लोग मंदिर में पूजा करने आते होंगे, तब इस मिथुन मूर्तियों का चित्रण को देखकर आकर्षित होते हुए उनके मन मे अपनी पत्नी का ख्याल आता होगा, जिससे वह लोग अपनी पत्नियों को त्यागकर जाने की सोच दूर होगी.

इस मंदिर के विषय में जब तत्कालीन तहसीलदार द्वारा पुरातत्व के अधिकारियों को जानकारी दी गई, तब वह इस मंदिर में आए और बताया कि वाकई में अद्भुत और एकमात्र मंदिर है. तत्कालीन तहसीलदार बताते हैं कि इस मंदिर में मिथुन चित्रण के विषय मे बताया गया कि पत्नियों के जीवन मे कितना बड़ा योगदान होता है. इसके लिए ही ध्यान में रखते हुए मंदिर पर 3 दिवसीय “पत्नी पूजा” मेला लगाने का प्रस्ताव प्रशासन को दिया गया है, जिससे यह पूजा पूरे भारत सहित विश्व में जाना जाएगा.

भगवान शिव का आशीर्वाद लेकर चुनाव लड़े

वहीं इस मंदिर से आस्था रखने वाले लोग मानते है कि जो मनोकामना लेकर वह आते हैं, वो भगवान शिव पूरा करते हैं. इस क्षेत्र के जनपद सदस्य शिवकुमार बंजारे 1999 से जनपद सदस्य हैं, जो बताते हैं कि वह इस मंदिर से सालों से आ रहे हैं और जब भी चुनाव में नामांकन डालने जाते हैं, वह यहीं से भगवान शिव का आशीर्वाद लेकर चुनाव लड़े और सफलता भी मिली है. वहीं उन्होंने मांग की है कि इसे संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग और प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है.

क्या बोले कलेक्टर राहुल देव ?

मुंगेली कलेक्टर राहुल देव जब इस मंदिर के दर्शन करने पहुंचे तब अद्भुत दृश्य देखकर उन्होंने इसकी खोज करने वाले तत्कालीन तहसीलदार राम विजय शर्मा को सम्मानित किया. साथ ही उन्होंने बताया कि इस मंदिर के ख्याति के लिए बेहद ही ज्यादा प्रचार प्रसार की जरूरत है. वहीं प्रशासन जनसहयोग के माध्यम से इस धरोहर को संरक्षित करने के लिए हर सम्भव प्रयास करेगी.

लापरवाही से नहीं हो सका संरक्षित

बहरहाल, भले ही यह मंदिर विश्व का एकमात्र मंदिर है और मुंगेली जिले की दुर्लभ धरोहरों में से एक है, लेकिन इसपर अब तक पुरातत्व विभाग एवं जिम्मेदारों ने सुध नहीं ली है, जिसकी वजह से इस मंदिर को जितना ख्याति प्राप्त करना चाहिए वो जिम्मेदारों की लापरवाही से नहीं हो पाया है. वहीं अगर पुरातत्व विभाग इसपर संज्ञान लेकर इसपर ध्यान दे तो कई रहस्य जो दबे हुए हैं, उसपर से पर्दे उठेंगे. मुंगेली की पहचान अचानकमार, खुड़िया, मदकू से होती रही है, लेकिन जल्द ही इस मंदिर का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखे जाएंगे.

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