सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हर तरह से पूजा पाठ की जाती है. सावन की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से हो चुकी है. शिवलिंग की विधि विधान से पूजा करने के लिए शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन में पादर शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है. शिवपुराण और लिंगपुराण में पारद शिवलिंग का जिक्र मिलता है. शिवपुराण के अनुसार सावन में पारद के शिवलिंग की पूजा से सहस्त्र शिवलिंग की पूजा का फल मिलता है.
सावन में पारद शिवलिंग की आराधना करने से ग्रहों को भी शांत किया जा सकता है. घर में पारद शिवलिंग के होने से बुरी शक्तियों आसपास नहीं भटकती. गलत मंशा से किए टोने-टोटके का असर खत्म हो जाता है. अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जात है.
पाप से मुक्ति
भगवान शिव को पारा बहुत प्रिय है. यही वजह है सावन में पारद शिवलिंग की पूजा से शिव जी जल्द प्रसन्न होते हैं. कहते हैं पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से सभी पाप कर्मों से मुक्ति मिल सकती है. पारद शिवलिंग की पूजा सिर्फ जल और पुष्प अर्पित कर करना चाहिए.
सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि
शास्त्रों के अनुसार घर, ऑफिस या दुकान में रखने से नकारात्मक ऊर्जा, सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है. काम के प्रति एकाग्रता बढ़ती है. मन शांत रहता है और भाग्य चमक उठता है.
विश्व का सबसे बड़ा पारद शिवलिंग
उज्जैन के शिप्रा नृसिंह घाट के समीप श्री सिद्ध आश्रम में श्री पारदेश्वर महादेव का भव्य मंदिर है. इस मंदिर में ढाई टन पारे से निर्मित विशाल शिवलिंग विराजित है. मान्यता है यह विश्व का सबसे बड़ा पारद शिवलिंग है. मान्यता है पारद शिवलिंग में साक्षात शिव का वास होता है. इसके दर्शन मात्र से मनुष्य को सुख, सौभाग्य, आयु, आरोग्य व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. जो पुण्य बारह ज्योतिर्लिंग, चौरासी महादेव व अनंतकोटी शिवलिंग के दर्शन से प्राप्त होता है, वही पुण्य फल मात्र पारदेश्वर महादेव के दर्शन से प्राप्त हो जाता है. पारद शिवलिंग में साक्षात शिव का वास माना गया है.
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