आरंग. टुकेश्वर लोधी. सावन के पवित्र महीने में देश-प्रदेश के सभी शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।वही राजा मोरध्वज की नगरी आरंग में भी शिव मंदिरों पर भक्तों की भारी भीड़ से पूरा आरंग शिवमय हो गया है।आज सावन का चौथा सोमवार है और आज हम आपको बताते है आरंग के पीपलेश्वर महादेव के बारे में जो 27 फीट की मोटाई वाले पीपल वृक्ष के गर्भ से निकले है।

मंदिरों की नगरी के नाम से विख्यात नगर है आरंग। जहां जगह जगह मंदिर देवालय है। नगर के चारों दिशाओं में अनेक प्राचीन शिवलिंगों का दर्शन होता है। किवदंती अनुसार पहले यहां 107 शिवलिंग होने की चर्चा यहां हर लोगों की जुबान से सुनने को मिलती है।वहीं नगर के उत्तर दिशा में खरोरा मार्ग पर स्थित है पंचमेश्वर पंचमुखी महादेव। जहां भगवान शिव की पांच प्राचीन विशाल स्वयंभू शिवलिंग विद्यमान है। एक ही स्थान पर पांच शिवलिंग होने के कारण यह स्थान पंचमुखी महादेव के नाम से भी जाना जाता है।जो श्रद्धालुओं के लिए जन आस्था का केन्द्र है।

◆ ऐसे हुआ स्वयंभू पीपलेश्वर महादेव की उत्पत्ति- स्थानीय लोगों के अनुसार सत्तर साल पहले फिरंता लोधी नाम का एक शिवभक्त व किसान था।जो पंचमुखी महादेव स्थल पर पूर्व से स्थापित चार शिवलिंगों की पूजा अर्चना करता था।और वहीं पर स्थित एक विशाल पीपल में प्रतिदिन जल चढ़ाता था।तभी पीपल वृक्ष के गर्भ में स्थित भगवान शिव ने भक्त फिरंता लोधी को बाहर निकालने के लिए बार बार स्वप्न देने लगा। उन्होंने लोगों को इसकी जानकारी दी तो किसी ने उनकी बातों पर ध्यान नही दिया। बल्कि उन्हे बुरा भला व अपशब्द कहने लगे। उन्होंने इस बात की जानकारी अपने गुरु गोपाल दास को दिया तो उसने बाबा बागेश्वर को पूर्व मुखी होने की बात कहते हुए पीपल के पूर्व दिशा को खोदने का सुझाव दिया। उनके आज्ञानुसार फिरंता ने विशाल पीपल वृक्ष के पूर्व दिशा की खोदाई शुरु कर दिया जहां 11 नवम्बर सन 1952 को भगवान स्वयंभू प्रगट हो गए।तब से यह स्थान पंचमेश्वर पीपलेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है।

27 फिट मोटी विशाल पीपल वृक्ष के गर्भ से प्रगट शिवलिंग श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र है। इतना विशाल पीपल वृक्ष और उनके गर्भ से प्रगट शिवलिंग कहीं और देखने सुनने को नही मिलता।इस कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। भगवान शिव के साथ साथ पीपल का वृक्ष भी लोगों के लिए कौतूहल व आकर्षण का केन्द्र है।मंदिर परिसर में विशाल प्राचीन बाऊली है जिसमें वर्ष भर जल भरा रहता है।जिसमें का जल सदैव ठंडा रहता है।

स्थानीय लोग बताते है फिरंता लोधी ही यहां पीपल से भगवान शिव के प्रगट होने के पश्चात् जल अर्पण हेतु यहां कुंआ खोलने लगे।तभी खोदाई के दरम्यान चालीस फिट गहरी विशाल बावली निकल गई। जिसमें नीचे तक सीढ़ी बना हुआ है।यहां आने वाले श्रद्धालु जल से शुद्ध होकर भगवान शिव का दर्शन करते है।

मंदिर के संचालक और पुजारी शत्रुघ्न लोधी ने बताया की पांचों शिवलिंग काले पत्थरों से निर्मित है। पीपल के नीचे स्थित शिवलिंग के ऊपरी भाग गोलाकार व नीचे का भाग अष्टकोणीय है।सभी शिवलिंगो का आकार विशाल है। परिसर में ही तीन शिवलिंग एक जगह पर स्थापित था। जहां वर्तमान में जनसहयोग से मंदिर का निर्माण किया गया है। एक शिवलिंग कुछ ही दूर में मंदिर में स्थापित है।यह स्थान आरंग से खरोरा मार्ग पर स्थित होने के कारण हर दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।हर साल बसंत पंचमी को यहां मेला भी लगता है।