नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके केंद्र सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रखने को नहीं कह सकती. केंद्र ने ये बात भारत के विभिन्न राज्यों में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने के केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर कही है.

अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि जिसके पास वैध यात्रा प्रमाण पत्र होगा उन्हें ही भारत आने की अनुमति होगी. ये बात केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बैंच के सामने कही. सरकार ने कहा है कि अगर रोहिंग्या मुसलमान बिना वैध दस्तावेज़ के भारत आते हैं तो ये देशहित में नहीं होगा. क्योंकि मामला देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से जुड़ा है.

भारत सरकार ने ये भी साफ कर दिया कि देशमें शरणार्थियों को पहचान पत्र देने की कोई नीति नहीं है. इस मामले में सरकार ने कहा कि श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों की तुलना रोहिंग्या मुसलमानों से नहीं की जा सकती है. क्योंकि द्विपक्षीय संधि के तहत तमिल शरणार्थियों को भारत आने की इजाजत दी गई थी. जबकि म्यांमार के साथ ऐसी कोई संधि नहीं है.

रोहिंग्या मुसलमानों के मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट में पहले भी कह चुकी है कि इनकी गतिविधियां सन्दिग्ध हैं. खुफिया एजेंसियों के पास सबूत हैं कि उनमें से कई के तार अंतरराष्ट्रीय कट्टरपंथी आतंकवादी संगठनों से जुड़े हैं. लिहाजा इनको वापस म्यांमार भेजना ही उचित होगा. कोर्ट ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को तय की है.