नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह 2 मई को कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले से जुड़े मामले में सुनवाई करेगा जिसमें जज ने किशोरवय लड़कियों को ‘यौन इच्छाओं पर नियंत्रण’ करने की सलाह दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि क्या पॉक्सो मामले में जहां न्यूनतम सजा तय हो, दोषी करार दिए जाने को इस आधार पर खारिज किया जा सकता है कि शारीरिक संबंध सहमति से बने थे ? हाई कोर्ट ने मामले में दोषसिद्धी को खारिज कर दिया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल किया है. कोलकाता हाई कोर्ट की उस टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट ने गलत और अनुचित करार दिया था जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि यौन इच्छा को किशोरियों को काबू में रखना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद खुद संज्ञान लिया था और कहा था कि आदेश में की गई टिप्पणियों में समस्या है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किशोरियों की यौन इच्छाओं पर जज को नैतिकता का पाठ नहीं पढ़ाना चाहिए.