Jim Corbett National Park: सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में प्राइवेट बसों के चलाने की परमिशन पर सुनवाई की, जिसमें कहा गया कि सिर्फ जानवरों के बारे में नहीं सोच सकते. इंसानों का भी ख्याल रखना होगा. दरअसल, CEC (Central Empowered Committee) ने प्राइवेट बसों के संचालन के खिलाफ सिफारिश की है.
बता दें कि इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही थी. बेंच साफ तौर पर सीईसी को कहा, वहां रहने वाले लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए. CEC के मुताबिक, पाखरो-मोरेघट्टी-कालागढ़-रामनगर वन मार्ग पर निजी बसों के संचालन की अनुमति नहीं होनी चाहिए.
CEC को बहुत संतुलित दृष्टिकोण रखना होगा- SC
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीईसी से सवाल किया कि आप 24 सीटों वाली बस को जाने की इजाजत दे सकते हो, लेकिन आम लोगों के लिए बसों को अनुमति नहीं दे सकते हैं. कोर्ट ने कहा, ‘आपको (CEC) बहुत संतुलित दृष्टिकोण रखना होगा. आप सिर्फ जानवरों के बारे में नहीं सोच सकते. आपको इंसानों के बारे में भी थोड़ा सोचना होगा.’
सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2021 को राष्ट्रीय उद्यान की ओर से 23 दिसंबर 2020 को जारी कार्यालय पत्र के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी, जिससे बसों को मुख्य क्षेत्र में चलाने की अनुमति मिल गई. उत्तराखंड ने पहले कोर्ट को सूचित किया था कि सड़क बफर जोन और मुख्य क्षेत्र दोनों से होकर गुजरती है.
45 किलोमीटर सड़क बफर जोन में
राज्य सरकार ने कहा कि कुल 53 किलोमीटर लंबाई में से 45 किलोमीटर सड़क बफर जोन में आती है, जबकि शेष मुख्य क्षेत्र में है. बफर जोन मुख्य क्षेत्र के आसपास का इलाका होता है, जहां प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग, अनुसंधान, विकास, पर्यावरण शिक्षा और विनियमित पर्यटन जैसी कम प्रभाव वाली गतिविधियां की जाती हैं.
वाणिज्यिक बस सेवा का किया जा रहा विरोध- न्याय मित्र
न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे सीनियर एडवोकेट के. परमेश्वर ने कहा कि सीईसी ने मामले में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है. उत्तराखंड की ओर से पेश वकील ने कहा कि वहां 1986 से 18 सीटों वाली बस चल रही है और यह स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए है. उन्होंने कहा कि सड़क पर कोई आपत्ति नहीं है और केवल वाणिज्यिक बस सेवा का विरोध किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये सुझाव
बेंच ने पूछा, ‘श्रीमान परमेश्वर, जरा व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाइए. आप मुख्य क्षेत्रों में जाने के लिए 24 सीटों वाली कैंटर बस रख सकते हैं, लेकिन वहां रहने वाले लोगों के लिए 18 सीटों वाली बस नहीं?’ सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि यदि आपत्ति निजी संचालकों की बसों के संचालन से संबंधित है, तो वह उस मार्ग पर राज्य बस चलाने का निर्देश दे सकता है.
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