‘पहली बात तो आपके मुवक्किल एक करप्ट व्यक्ति है. आप हमसे समाज को क्या संदेश दिलवाना चाहते हैं. कि एक भष्ट्राचारी व्यक्ति को कोर्ट ने बेल दे दी’. ये फटकार जस्टिस सूर्यकांत ने पश्चिम बंगाल के चर्चित शिक्षक भर्ती घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए वकील मुकुल रोहतगी को कही. वकील के दलीलों से नाराज होकर जस्टिस सूर्यकांत ने तेज आवाज में वकील की जमकर क्लास लगाई.
दरअसल जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस दौरान मुकुल रोहतगी दूसरे लोगों और मंत्रियों का नाम लेकर तर्क देने लगे कि उन्हें भी तो जमानत दी गई, जबकि पार्थ चटर्जी करीब ढाई साल से जेल में बंद हैं. पहले मुकुल रोहतगी ने कहा कि दूसरे आरोपियों को भी तो कोर्ट ने बेल दी है तो जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वे लोग मंत्री नहीं थे. इस पर मुकुल रोहतगी ने फिर बहस की और तमिलनाडु सरकार में मंत्री सेंथिल बालाजी को जमानत दिए जाने की बात कही. उन्होंने विश्वास जताया कि पिछले कुछ महीनों में मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में ट्रायल शुरू होने में देरी के चलते आरोपी को जमानत दे दी गई थी.
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मुकुल रोहतगी ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की दलीलों पर राजू ने पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट को मामले में आरोपी की भूमिका के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि पार्थ चटर्जी को अगर इस मामले में बेल मिल भी गई तो भी वह जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे क्योंकि वह सीबीआई मामले में भी कस्टडी में हैं. जिस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि हर किसी को तो बेल मिल रही है. जमानत का विरोध करने के लिए ये कैसी दलील है.
जस्टिस सूर्यकांत ने एडवोकेट मुकुल रोहतगी को टोकते हुए कहा कि बाकी आरोपी मंत्री नहीं थे और ये तो सामान्य सी बात है कि आरोपी अपने घर पर पैसा क्यों रखेंगे. फिर भी मुकुल रोहतगी बहस करते जा रहे थे तो जस्टिस सूर्यकांत ने उन्हें फिर टोका और तेेज आवाज में कहा, ‘पहली बात तो आपके मुवक्किल एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं. आपहमसे समाज को क्या संदेश दिलवाना चाहते हैं कि भ्रष्ट लोगों को इस तरह बेल मिल सकती है?
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वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पार्थ चटर्जी के बेल के लिए तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी के प्रकरण में बेल मिलने का भी जिक्र किया तो जस्टिस सूर्यकांत ने उन्हें टोकते हुए और कहा कि यहां समानता का दावा न करें. उन्होंने कहा, ‘यहां मंत्रियों के लिए समानता जैसी कोई चीज नहीं है. देश में मंत्रियों का कोई संघ नहीं है.’ आगे कहा कि पार्थ चटर्जी पर आरोप है कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों और असिस्टेंट प्राइमरी टीचर्स से रिश्वत लेकर डमी कंपनियों को भेज दी गई थी.
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