SC On Shariyat Law & Islam: मुस्लिम परिवार (muslim family) में जन्म होने के बावजूद इस्लाम में विश्वास न रखने वाले मुस्लमों पर क्या शरीयत कानून लागू होगा? या फिर शरीयत की जगह सामान्य सिविल कानून लागू हो सकते हैं? इसका जवाब देश की शीर्ष न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा है। शीर्ष न्यायालय ने इसके लिए सरकार को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मई के दूसरे सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट मामले को सुनेगा।

‘जल्दी आओ न बाबू, आज मन कर रहा है…’, Uber Driver ने महिला वकील को भेजे आपत्तिजनक मैसेज, कंपनी ने लिया ये एक्शन

दरअसल याचिका केरल की रहने वाली साफिया पीएम नाम की लड़की ने दाखिल की है। उसका कहना है कि उसका परिवार नास्तिक है, लेकिन शरीयत के प्रावधान के चलते पिता चाह कर भी उसे अपनी 1 तिहाई से अधिक संपत्ति नहीं दे सकते हैं। बाकी संपत्ति पर भविष्य में पिता के भाइयों के परिवार का कब्जा हो जाने की आशंका है।

Infosys: इंफोसिस के को-फाउंडर क्रिस गोपालकृष्णन समेत 16 लोगों के के खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज, हनी ट्रैप के झूठे मामले में फंसाने का मामला

याचिका दाखिल करने वाली साफिया और उसके पिता नास्तिक हैं, लेकिन जन्म से मुस्लिम होने के चलते उन पर शरीयत कानून लागू होता है। याचिकाकर्ता का भाई डाउन सिंड्रोम नाम की बीमारी के चलते असहाय है। वह उसकी देखभाल करती हैय़ शरीयत कानून में बेटी को बेटे से आधी संपत्ति मिलती है। ऐसे में पिता बेटी को 1 तिहाई संपत्ति दे सकते हैं, बाकी 2 तिहाई उन्हें बेटे को देनी होगी। अगर भविष्य में पिता और भाई की मृत्यु हो जाएगी तो भाई के हिस्से वाली संपत्ति पर पिता के भाइयों के परिवार का दावा बन जाएगा।

Deepseek: चीन के एआई ऐप ‘डीपसीक’ ने मचाई खलबली, ताश के पत्तों की तरह ढह गए अमेरिकी टेक कंपनियों के शेयर, जानिए क्या है डीपसीक और इसके कारण टेक स्टॉक में गिरावट क्यों आई?

मामले में याचिकाकर्ता की दलील है कि संविधान का अनुच्छेद 25 लोगों को अपने धर्म का पालन करने का मौलिक अधिकार देता है। यही अनुच्छेद इस बात का भी अधिकार देता है कि कोई चाहे तो नास्तिक हो सकता है। इसके बावजूद सिर्फ किसी विशेष मजहब को मानने वाले परिवार में जन्म लेने के चलते उसे उस मजहब का पर्सनल लॉ मानने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। वकील ने यह भी कहा था कि अगर याचिकाकर्ता और उसके पिता लिखित में यह कह देंगे कि वह मुस्लिम नहीं है, तब भी शरीयत के मुताबिक उनकी संपत्ति पर उनके रिश्तेदारों का दावा बन जाएगा।

‘Daddy’ I am Sorry…. वो मुझे मार देना चाहती है,’ पत्नी की प्रताड़ना से तंग आकर पति ने की आत्महत्या

CJI और ASG ने क्या कहा

सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षा वाली बेंच के समक्ष एसजी तुषार मेहता ने कहा कि एक महिला, जो शरिया नहीं मानती, मसला उसका है। सीजेआई ने कहा कि यह सभी धर्मों पर लागू होगा। आपको एक जवाब दाखिल करना होगा, अगर हम कोई आदेश पारित करते हैं तो आपको अनुमति देने के लिए कई फॉर्म आदि होने चाहिए। एसजी ने कहा कि सही है, मैं अपने धर्म का उल्लेख नहीं करूंगा। एसजी ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि उनकी केवल एक बेटी है और वह पूरी संपत्ति बेटी को देना चाहती हैं, लेकिन शरीयत कानून केवल 50% की अनुमति देता है।

मां बनी हैवान! पति नहीं ले गया घुमाने तो 3 साल के बेटे  को बेरहमी से पीटा

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल दाखिल करेगी जवाब

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल को अहम बताते हुए अटॉर्नी जनरल से कहा था कि वह उसकी सहायता के लिए किसी वकील को नियुक्त करें। इसके बाद 24 अक्टूबर 2024 को सुनवाई हुई। इस सुनवाई में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर जवाब दाखिल करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने पर विचार चल रहा है, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि यह कब तक आएगा या आएगा भी या नहीं।

हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार को लगाई फटकार, कहा- सरकार रेवड़ियां बांट रही, विधवा को 3 साल से 18 लाख का इंतजार क्यों?

शरीयत एक्ट की धारा 3 ये कहती है

दरअसल, शरीयत एक्ट की धारा 3 में प्रावधान है कि मुस्लिम व्यक्ति को यह घोषणा करता है कि वह शरीयत के मुताबिक उत्तराधिकार के नियमों का पालन करेगा। हालांकि जो ऐसा नहीं करता, उसे ‘भारतीय उत्तराधिकार कानून’ का लाभ नहीं मिल पाता, क्योंकि उत्तराधिकार कानून की धारा 58 में यह प्रावधान है कि यह मुसलमानों पर लागू नहीं हो सकता।

‘जन्नत’ की सैर अब वंदे भारत एक्सप्रेस से… दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल से गुजरी Kashmir 1st Vande Bharat Express, वीडियो देखकर आपका दिल भारतीय होने पर करेगा ‘गर्व’

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m