पटना। बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। मतदाता सूची संशोधन (SIR) मामले में दाखिल याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने साफ किया कि नाम जोड़ने की 1 सितंबर की डेडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी। हालांकि, चुनाव आयोग ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि 1 सितंबर के बाद भी प्राप्त आपत्तियों और दावों पर विचार किया जाएगा।
इससे पहले याचिकाकर्ता ने बाढ़ और तकनीकी समस्याओं का हवाला देते हुए अंतिम तिथि को 15 सितंबर तक बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन चुनाव आयोग की ओर से बताया गया कि अगर जरूरी हुआ तो 30 सितंबर तक भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे।
क्या कहा कोर्ट ने?
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि आयोग की प्रक्रिया ही मानक है और वही लागू होगी। कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा, इतने बड़े राज्य में केवल 120 आपत्तियां आना चौंकाने वाला है। कोर्ट ने आधार कार्ड पर अत्यधिक जोर दिए जाने पर भी सवाल उठाए।
दोनों पक्षों की दलीलें
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि कई लोगों के नाम बिना आवेदन के लिस्ट में जोड़े गए हैं और हजारों लोग अपने नाम हटवाने के लिए आवेदन कर रहे हैं। आयोग पारदर्शिता नहीं बरत रहा।
वहीं चुनाव आयोग की तरफ से बताया गया कि 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5% ने दस्तावेज जमा कर दिए हैं। अब तक 1.34 लाख लोगों ने नाम हटाने का अनुरोध किया, लेकिन नए नाम जोड़ने के आवेदन सीमित हैं।
राजनीतिक दलों पर भी सवाल
कोर्ट ने राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई। कहा कि राज्य की 12 पार्टियों में से सिर्फ 3 ही कोर्ट पहुंची हैं। 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट होने के बावजूद सिर्फ 2 आपत्तियां आईं।
मतदाता सूची प्रकाशित करेगा?
अब आयोग 1 अक्टूबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करेगा। कोर्ट ने राजनीतिक दलों को मतदाताओं की मदद के लिए सक्रिय रहने को कहा। आधार कार्ड विवाद पर अगली सुनवाई 8 सितंबर को हो सकती है।
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