रायपुर-  दागी का दर्जा देकर छत्तीसगढ़ सरकार ने 42 पुलिस अधिकारियों की नौकरी छिन ली, तो नौकरी चले जाने के दर्द के साथ मदद की गुहार लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति पाने वाले पुलिस अधिकारी राज्यपाल की शऱण में पहुंच गए. मगर किस्मत ने भी मानो दगा दे दिया. राज्यपाल से मुलाकात हो ना सकी.  लेकिन सरकार से मिले सदमे के बीच उन पूर्व पुलिस अधिकारियों की दबी जुबां खुली तो तीखे बोल फूट पड़े. आरोप लगाया गया कि शासन ने ये कार्यवाही एसटी-एससी को लक्ष्य बनाकर किया है. यह भी कहा गया कि सरकार एससी-एसटी विरोधी है. आरोप लगे तो परते कई ऐसे भ्रष्ट औऱ दागी पुलिस अधिकारियों के खुलने लगे, जिन पर कार्य़वाही करने के लिए सरकार की नजर अब तक नहीं पड़ी है. सरकार के आदेश ने जो जख्म दिया, उम्मीद थी कि राजभवन से उसका मरहम मिलेगा. मरहम तो दूर राज्यपाल से मुलाकात नहीं हो पाई. हालांकि सरकार के आदेश के बाद पुलिस अधिकारी रहे तमाम लोगों का दावा है कि पक्षपातपूर्ण ढंग से कार्य़वाही की गई.
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के 42 पुलिस अधिकारियों को कल ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी.  वजह बताई गई कि इन पुलिस अधिकारियों का सीआर खराब था. लोकहित में बेहतर ढंग से काम नहीं करने की वजह से शासन ने सर्विस पर ब्रेक लगाना ही बेहतर समझा. छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही रही, जिसमें एक साथ 42 पुलिस अधिकारियों की नौकरी एक झटके में सरकार ने छिन ली. जिन लोगों को नौकरी से हटाया गया उनमें 15 टीआई, 19 एएसआई औऱ 9 एसआई शामिल हैं. कार्यवाही हुई तो विरोध की आवाजें भी बुलंद हो गई. नौकरी से हटाये गए पुलिस अधिकारियों ने यह कहते हुए सनसनी फैला दी कि सरकार की यह कार्यवाही पक्षपातपूर्ण हैं. 42 पुलिस अधिकारियों में 34 पुलिस अधिकारी ऐसे हैं, जो एससी-एसटी वर्ग से आते हैं, लिहाजा सबसे बड़ा आरोप सरकार पर यही लगाया गया कि एससी-एसटी को लक्ष्य बनाकर ही कार्यवाही की गई. सरकार की कार्यवाही के विरोध में आज आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे अधिकारी राजभवन पहुंचे, जिन्हें उनके खराब सीआर की वजह से नौकरी से हटा दिया गया. इन लोगों में छह महिला अधिकारी शामिल थी.

दागी, रेप और मर्डर के आरोपी पुलिस अधिकारी आज भी काम कर रहे हैं- दया कुर्रे

नौकरी से हटाई गई दया कुर्रे ने कहा कि पुलिस विभाग में ऐसे कई अधिकारी है, जो दागी है, रेप और मर्डर केस के आरोप भी लगे हैं, जेल जा चुके हैं, लेकिन जिन लोगों को नौकरी से हटाया गया,उस सूची में उनमें से किसी एक का भी नाम नहीं है.  हमारे खिलाफ ऐसा कोई प्रकरण नहीं है, जिसके आधार पर नौकरी छिन ली जाए. हम सबके साथ अन्याय किया गया है. आशीष अरोरा जैसे कई पुलिस अधिकारी अब भी काम कर रहे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. यह कैसी विडंबना है कि सरकार ने अन्यायपूर्ण ढंग से कार्यवाही की है.  उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सरकार ने कई पदक दिए हैं. अब जब ये कार्यवाही की गई, तो पूरा परिवार सड़क पर आ गया है. सभी क्षुब्ध हैं. एससी-एसटी को ही टारगेट कर ये आदेश जारी किया गया है. सामान्य जाति से कोई नहीं है. जबकि सामान्य वर्ग के ऐसे कई चेहरे सामने हैं, जिन्हें सरकार ने कई गंभीर आरोपों के तहत निलंबन कर सेवा बहाली दे दी. लेकिन 25 सालों के कार्यकाल में कर्तव्यनिष्ठा से काम करने का ये नतीजा आया है.

क्या मेरा नक्सलियों से रिश्ता है, आतंकवादी संगठन से जुड़ी हुई हूं- सविता दास

सविता दास ने कहा कि 2002 में मैंने आठ नक्सलियों को पकड़ा था. तब सरकार ने आउट आॅफ टर्न पदोन्नति दी थी. माओवादियों के दल की उस डिप्टी कमांडर को मैंने पकड़ा था, जो अविभाजित मध्यप्रदेश के मंत्री रहे रिखीराम कांवरे की हत्या करने वाले दल में शामिल थी. सरकार की इस कार्यवाही का आधार स्पष्ट नहीं है. नियम में कहा गया है कि पांच साल का सीआर देखकर कार्यवाही की जाए. मेरा सीआर खराब नहीं है. माया शर्मा नाम की पुलिस अधिकारी पैसे लेते पकड़ायी थी, अनिल शर्मा पर दो कस्टोडियल डेथ का मामला चल रहा है. अनिल सिसोदिया जेल जा चुका है, क्या ऐसे अधिकारियों का रिकार्ड सही है. मुझे साहसिक कार्यों के लिए अवार्ड दिया गया है, प्रमोशन लिस्ट में भी मेरा नाम था. सविता दास ने कहा कि रिटायर्ड सीएसपी बांबरा मुझे प्रताड़ित करते थे. अवांछित काम के लिए सहयोग चाहते थे. लेकिन मैंने उसे खारिज कर दिया था. इस पूरे मामले की शिकायत तत्कालीन एसपी मरावी से किया था. सरकार की कार्यवाही अन्यायपूर्ण है. किसी नक्सली दलम से मेरा कोई लिंक नहीं है, मेरे परिवार में कोई आतंकवादी नहीं है, देशद्रोह से जुडा़ कोई काम नहीं किया है. दास ने कहा मैं मूल रूप से कवर्धा की हूं और अब लग रहा है कि छत्तीसगढ़ियों की बलि चढ़ाई जा रही है. इधर प्रभा राव ने कहा कि 35 साल की सेवा अवधि में दुर्ग जिले में 4 पदोन्नति ले चुकी है. अब तक किसी महिला ने इतनी पदोन्नति नहीं ली है. अच्छे काम करने पर रिकार्ड खराब कैसा हो गया. एससी-एसटी को टारगेट कर ऐसी कार्रवाई की गई है.
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