योगेश यादव, बगीचा। जशपुर जिले के एक स्कूल में बच्चे गंदा पानी पीने को मजबूर है. स्कूल में मध्यान्ह भोजन के बाद रोज बच्चे पांच सौ मीटर दूर डभरी और कुएं का गंदा पानी पीने जाते हैं. पिछले कई सालों से स्कूल का हैंडपंप खराब पड़ा है. लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है.

आदिवासी क्षेत्रों में सरकार विकास के तमाम दावे तो करती है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है. ताज़ा मामला जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के उकई ग्राम पंचायत का है. यहां पेयजल की भीषण संकट है. क्षेत्र के स्कूलों में बच्चे शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं. हैंडपंप पिछले कई सालों से ख़राब होने की वजह से स्कूली बच्चे खेत में बने डभरी और कुएं का पानी पीने को मजबूर हैं.

शासकीय प्राथमिक शाला भट्ठा में लगभग 70 बच्चे पढ़ते हैं. वहीं स्कूल के सामने आंगनबाड़ी भी है, वहां भी पीने के पानी के लिए डभरी और कुएं का उपयोग किया जाता है. बच्चे अपनी प्यास मिटाने के लिए हर रोज स्कूल से पांच सौ मीटर दूर जाते हैं.

गांव के लोगों और शिक्षक की माने तो पानी की इस समस्या के बारे में कई बार अधिकारियों को बताया गया, लेकिन आज तक कोई इस तरफ ध्यान नहीं दिया. अब प्यास मिटाने के लिए बच्चे डभरी और कुएं का उपयोग कर रहे हैं और बीमार हो चुके हैं.

70 बच्चों में सिर्फ एक शिक्षक

जिला शिक्षा अधिकारी एन कुजूर ने कहा कि जल्द ही बच्चों के लिए पेयजल की व्यवस्था की जाएगी. इस स्कूल में 70 बच्चों के बीच मात्र एक शिक्षक है. हाल ही में हुए शिक्षकों की ट्रांसफर से व्यवस्था गड़बड़ा गया है. जल्द सब ठीक हो जाएगा.

जशपुर विधायक विनय भगत का कहना है कि इसके बारे में जानकारी आपके माध्यम से मुझे मिली है. आज के समय में अगर बच्चे डभरी और कुएं का गंदा पानी पी रहे हैं. यह दुर्भाग्य की बात है कि जल्द मैं उस गांव जाकर लोगों की समस्या का समाधान करूंगा.