सत्यपाल राजपूत, रायपुर. स्कूल शिक्षा विभाग का एक और कारनामा सामने आया है. पहले दिन जिस प्राचार्य को निलंबन किया गया, उसके 24 घंटे बाद ही दोबारा उसकी बहाली कर दी गई. विभाग के अवर सचिव ने पहले निलंबन का आदेश जारी किया, फिर उन्हीं अवर सचिव आरपी वर्मा ने दूसरे दिन बहाली का आदेश जारी कर दिया. आखिरकार प्राचार्या डॉ. राज ढिमोले को किसका संरक्षण मिल रहा है, जो अवर सचिव को फिर से निलंबन आदेश को वापस लेकर बहाली का आदेश जारी करना पड़ा? क्या स्कूल शिक्षा विभाग में मनमानी का खेल चल रहा है ?

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्या डॉ. राज ढिमोले को निलंबन आदेश 24 घंटे में ही वापस ले लिया गया. उन्हें शिक्षा विभाग ने 24 अप्रैल को संस्पेंड किया था. लेकिन अगले ही दिन 25 अप्रैल को उन्हें बहाल कर दिया गया. प्राचार्या को शासकीय उच्चतर माध्यमिक जोरा में फिर से पदस्थ कर दिया गया है. जबकि उन पर गंभीर आरोप हैं.

शिक्षा विभाग के अवर सचिव आरपी वर्मा की ओर से जारी निलंबन आदेश में स्पष्ट लिखा है कि प्राचार्या ढिमोले कई-कई दिनों तक अनुपस्थित रहती थीं. इसके बाद भी हाजिरी रजिस्टर में एक साथ हस्ताक्षर कर देती थीं. स्कूल के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों व कर्मचारियों से उनका व्यवहार बहुत ही अशोभनीय और अभद्र रहा है. उनका ये कृत्य सिविल सेवा आचरण नियम के विपरीत गंभीर कदाचरण की श्रेणी में आता है. इस वजह से उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है.

निलंबन अवधि में उनका मुख्याल संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय तक किया गया. 25 अप्रैल को अवर सचिव वर्मा ने फिर एक नया आदेश जारी किया. इसमें डॉ. ढिमोले को बहाल कर दिया गया. अवर सचिव कि ऐसी क्या मजबूरी थी कि प्राचार्य को निलंबित करने के बाद 24 घंटे के भीतर बहाली का आदेश जारी करना पड़ा ? शिक्षा विभाग में अपने ही आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है.

उच्च्स्तरीय दबाव और एप्रोच

सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में जब जांच की गई तो शिक्षा विभाग में उच्चस्तरीय दबाव और एप्रोच की बात सामने आई. पहले शिकायतों के आधार पर प्राचार्य पर तत्काल कार्रवाई करने की फाइल चली. फाइल मंत्रालय पहुंचते ही निलंबन का आदेश जारी कर दिया गया. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अपनी पॉलिटिकल पहुंच से फाइल दौड़ाई गई.

प्रतिनिधिमंडल मंत्रालय पहुंचा. इसके बाद तकनीकी दिक्कतों और जांच के बाद कार्रवाई करने की दलीलें देते हुए आदेश वापस लेने के निर्देश दिए गए. अब प्राचार्या पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाने वाले अपने स्तर पर नेताओं और कानून की मदद लेने का प्रयास कर रहे हैं.