राजस्थान. नागौर में शास्त्रीय संगीत अपनी पहचान धीरे-धीरे खोता जा रहा है, ऐसे में इसे अलग पहचान दिलाने और लोगों के बीच जिंदा रखने के लिए नागौर में शास्त्रीय संगीत की पाठशाला चलाई जा रही है. ये पाठशाला नागौर के रघुनाथ मंदिर में चलाई जा रही है.

रघुनाथ मंदिर में पहले जहां राजा प्रताप सिंह के समय में संस्कृत महाविद्यालय चलता था, उस समय यहां शास्त्रीय नृत्य से युक्त भारतीय संगीत की कक्षाएं चलती थी, लेकिन वर्तमान में संस्कृत विद्यालय बंद हो गया है. अब यहां पंडित नरोत्तम पाठक द्वारा शास्त्रीय संगीत सिखाया जा रहा है.

ये है उद्देश्य

शास्त्रीय संगीत पहले के समय भारतीयों के लिए विशेष होता था, लेकिन पाश्चात्य संस्कृति आने के बाद संगीत में परिवर्तन होने लगा. मौजूदा दौर में शास्त्रीय संगीत को लोग भूलते जा रहे हैं. ऐसे में इसे पहचान दिलाने के लिए यह विद्यालय चलाया जा रहा है. जिससे संगीत सीखने वाले बच्चे भविष्य में संगीत के किसी भी क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं.

यहां के विद्यार्थी कमा चुके हैं नाम

यहां पंडित नरोत्तम पाठक संगीत की शिक्षा दे रहे हैं और उनका घराना पिछले 3 पीढ़ियों से संगीत सिखा रहा है. उनके पिताजी की शिष्या उर्मिला नागर हैं. वह कथक नृत्य और संगीत में देश-विदेश में कई कार्यक्रम कर चुकी हैं. नरोत्तम पाठक की शिष्या ममता देवी कथावाचक और भजनगायिका हैं.

यहां सिखाया जाता है शास्त्रीय संगीत

नागौर के प्रतापसागर के सामने रघुनाथ मंदिर में शास्त्रीय संगीत सिखाया जाता है. यहां दिव्यांगजन, साधु, गरीब बच्चों को निःशुल्क संगीत सिखाते हैं.