लुधियाना. सीबीएसई द्वारा समय समय पर लागू किए जा रहे फरमान अब स्कूलों के लिए परेशानी बनने लगे हैं। कई स्कूल संचालक तो बोर्ड के सरकुर्लरों से इस कदर तंग हैं कि अगले सैशन से बोर्ड बदलने का मन भी बना चुके हैं।

यही नहीं स्कूल संगठनों ने सीबीएसई के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजाने का ऐलान कर दिया है और कहा कि सीबीएसई की इन नीतियों के खिलाफ माननीय उच्च न्यालय में याचिका दायर करेंगे.

उक्त बारे आज हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के स्कूल संगठनों ने दो टूक कह दिया कि यदि सीबीएसई ने स्कूल संचालकों पर मनमाने फैसले थोपने बंद नहीं किए तो एक साथ हजारों स्कूल मिलकर एग्जाम बोर्ड बदल लेंगे।

एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने साफ कर दिया कि सीबीएसई केवल एग्जाम लेने वाली एजेंसी है और वह बार बार यह स्पष्ट कर चुकी है कि स्कूलों में नियम प्रदेश सरकार के लागू होंगे और फिर भी हर सप्ताह कोई न कोई लेटर निकालकर स्कूल संचालकों को परेशान करने का काम किया जा रहा है।

हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रैंस (एचपीएससी) के प्रधान एसएस गोसाई व वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश चंद्र, पंजाब से फेडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल एंड एसोसिएशनस आफ पंजाब से प्रधान जगजीत सिंह व लीगल कनवीनर संजीव कुमार सैनी और चंडीगढ़ से इंडीपेंडेट स्कूल एसोसिएशन (आईएसए) प्रधान एचएस मामिक, जरनल सेके्रटरी आरडी सिंह ने संयुक्त रूप से कहा कि सीबीएसई के नियमों में स्पष्टतौर पर लिखा है कि 2 एकड़ में बने स्कूल संचालक 48 सेक्शन बना सकते हैं, लेकिन इस साल नया लेटर निकाल दिया जिसमें लिख दिया कि यदि कोई स्कूल नया सेक्शन बनाता है तो उसे 75 हजार रुपए जमा करवाने होंगे। उन्होंने कहा कि कोविड में स्कूलों में सेक्शन कम हुए और यदि अब माहौल ठीक होने पर स्कूल सेक्शन बढ़ा रहे हैं तो एग्जाम लेने वाली एजेंसी सीबीएसई सेक्शन बढ़ाने पर रुपए क्यों मांग रही है, जबकि नियमों में स्पष्ट है कि सीबीएसई 48 सेक्शन बनाने तक किसी तरह की फीस लेती है तो वह अवैध वसूली होगी।
School organizations of Haryana, Punjab and Chandigarh said… If CBSE does not stop imposing arbitrary decisions, they will change the exam board