रायपुर. प्रदेश में नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी के संरक्षण और संवर्धन के लिए किए जा रहे कार्य वैज्ञानिक सोच के आधार पर तैयार किए गए हैं, इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास होगा और पर्यावरण का नुकसान भी नहींं होगा. यह बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्य़ालय परिसर स्थित ऑडिटोरियम में 17 वीं छत्तीसगढ़ युवा वैज्ञानिक कांग्रेस के शुभारम्भ समारोह को सम्बोधित करते हुए कही.
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि भारत वर्ष ने चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट, नागार्जुन जैसे महान वैज्ञनिक दिए हैं. देश में विज्ञान – वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने का कार्य देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रारंभ किया गया, जिनके प्रयास से परमाणु अनुसंधान केन्द्र, एम्स, अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र की स्थापना सहित अन्य वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हरित क्रांति और श्वेत क्रांति का आगाज किया, जिससे देश की गरीबी, भूखमरी को दूर करने का प्रयास किया गया. 1980 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश में कम्प्यूटर और संचार क्रांति का सूत्रपात किया, जिसका प्रतिफल हमें वर्तमान में आधुनिक संसाधनों के रूप में मिल रहा है.
वैज्ञानिक कांग्रेस जैसे आयोजन जरूरी
कार्यक्रम में मौजूद उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि किसी भी प्रदेश का विकास संसाधनों की उपलब्धता तथा उनके बेहतर उपयोग पर निर्भर करता है. लेकिन संसाधनों का उचित व सुनियोजित उपयोग की क्षमता की कमी से विकास में हम पीछे रह जाते हैं, इस कमी को दूर करने के लिए वैज्ञानिक शोध जरूरी है. शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक कांग्रेस जैसे आयोजन होते रहना चाहिए.
155 शोधपत्रों का किया जाएगा मूल्यांकन
छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. के.सुब्रमणियम ने बताया कि यह वैज्ञानिक कांग्रेस प्रदेश के युवा वैज्ञानिको को निखारने के लिए आयोजित की गई है, जिसमें विज्ञान की 19 विधाओं में प्रदेश के शोधार्थियों से शोधपत्र आमंत्रित किए गए हैं, जिसमें 155 शोधपत्रों का चयन किया गया. देश की विभिन्न संस्थाओं से पहुंचे 55 विषय विशेषज्ञों के द्वारा शोधर्थियों के शोधपत्र का मूल्यांकन किया जाएगा. इस अवसर पर पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केएल वर्मा रजिस्ट्रार प्रो. गिरीशकांत पाण्डे़य, आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. कलौल के घोष, समन्वयक डॉ. मानस कांतिदेब सहित रविशंकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.
सर्वश्रेष्ठ शोधार्थी को मिलेगा नगद पुरस्कार और छात्रवृत्ति
सर्वश्रेष्ठ शोधार्थी को पुरस्कार स्वरूप 21 हजार रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा, साथ ही उन्हें दो माह के लिए देश की प्रतिष्ठित संस्था में अनुसंधान के लिए भेजा जाएगा. इसका पूरा खर्च परिषद वहन करेगा. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक शोध के लिए 5 लाख स्कॉलरशीप रखी गई है.