हैदराबाद। देश में कोरोना संक्रमण के नए मामले फिर बढ़ रहे हैं. महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में नए केस सामने आ रहे हैं. वहीं इसी बीच कोरोना के नए स्वरुप को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है. उनके अनुसार देश में कोरोना संक्रमण एक दो नहीं, बल्कि पांच हजार से ज्यादा स्वरूप पाये गए हैं. यह संख्या तब है, जबकि बहुत सारे सैंपल की पूरी तरह से सीक्वेंसिंग नहीं हुई है. वायरस प्राकृतिक तौर पर म्यूटेट करते हैं यानी अपनी संरचना में बदलाव करते हैं. आमतौर पर संक्रमण महीने में एक या दो बदलाव होता है. कोरोना संक्रमण में भी ऐसा हो रहा है.
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के कोशिका एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के वैज्ञानिकों के अध्ययन में यह बात समाने आई है. शोध प्रकाशन में देश में पांच हजार से अधिक कोरोना वायरस के स्वरूप का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है. साथ ही यह भी बताया है कि महामारी के दौरान संक्रमण के ये स्वरूप किस तरह से विकसित हुए.
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अध्ययन में कहा गया है कि वायरस का एक नया स्वरूप ए3आइ था, जिसके धीमे प्रसार की बात कही गई थी. दुनियाभर में सबसे तेजी से वायरस का ए2ए स्वरुप फैला. हाल ही में कई देशों में पाये गए वायरस के नए स्वरूप ने इसलिए चिंता बढ़ा दी थी, क्योंकि इसके स्पाइक प्रोटीन में बदलाव हुआ, जिससे चिपक कर वायरस मानव कोशिकाओं में पहुंचा.
अध्ययन में यह भी पता चला है कि वायरस के जिस स्वरूप के स्पाइक प्रोटीन में बदलाव होता है. वह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की पकड़ में नहीं आते और व्यक्ति के फिर से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. वायरस की प्रोटीन की संरचना में आए बदलाव के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली पहले के संक्रमण से उनकी पहचान नहीं कर पाती है.