मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ:  आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में शोध निदेशालय द्वारा खरीफ – 2024 के लिए तकनीकी कार्यक्रम के निर्धारण एवं शोध कार्यों पर चर्चा को लेकर दो दिवसीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने की। बैठक में अनुसन्धान सलाह समिति (आरएसी) के सदस्यों में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद लखनऊ के महानिदेशक डा. संजय सिंह, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि मेरठ के पूर्व कुलपति डा. गया प्रसाद, बी.बी.ए.यू लखनऊ के पूर्व अधिष्ठाता डा. आर.बी. राम, आई.वी.डी बरेली के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. डी.सी चतुर्वेदी भी मौजूद रहे।

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कुलपति ने विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न प्रजातियों के परीक्षण को जाना। इस दौरान कुलपति ने स्वीट पोटैटो को मूल्य संवर्धन के रूप में प्रयोग किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश परवल की खेती के लिए हब माना जाता है। उन्होंने परवल की खेती के लिए बेगूसराय बलिया, गाजीपुर तथा आसपास के अन्य क्षेत्रों का सर्वे करने के लिए वैज्ञानिकों को निर्देशित किया।

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उपकार के महानिदेशक डा. संजय सिंह ने कहा कि विवि को शोध कार्यों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को एक लक्ष्य बनाकर शोध कार्यों पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की टेक्नोलॉजी का पेटेंट करते हुए लाइसेंस दिया जाए। इससे रिवॉल्विंग फंड में इजाफा होगा और वैज्ञानिकों को ताकत मिलेगी। बाहर से आए अन्य वैज्ञानिकों ने भी अपने विचारों को साझा किया। बैठक में एक के बाद एक सभी कृषि वैज्ञानिकों ने खरीफ 2024 के लिए होने वाले अनुसंधान पर जानकारी साझा की। बैठक में मौजूद विशेषज्ञों ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान पर संतोष व्यक्त किया साथ ही आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। विश्वविद्यालय के शोध निदेशक डा. ए.के गंगवार के संयोजन में बैठक आयोजित की गई।

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