Lok Sabha Speaker Om Birla: ओम बिरला 18वीं लोकसभा अध्यक्ष बन गए हैं।18वीं लोकसभा के पहले सत्र के तीसरे दिन (26 जून) को बिरला को लोकसभा सभापति चुना गया। इसी के साथ ही ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बन गए। सत्ता पक्ष (NDA) के सांसदों की संख्या बहुमत से ज्यादा होने के कारण प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने विपक्ष की वोटिंग की मांग को खारिज कर ध्वनि मत से ओम बिरला को विजयी घोषित किया। इससे पहले पीएम मोदी ने ही उनके नाम का प्रस्ताव रखा था। पीएम ने कहा- ओम बिरला का अनुभव देश के काम आएगा। राहुल गांधी ने कहा- मुझे विश्वास है कि आप विपक्ष की आवाज दबने नहीं देंगे।

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बता दें कि ओम बिरला 18वीं लोकसभा चुनाव में राजस्थान के कोटा से सांसद चुनकर संसद पहुंचे हैं। बिरला का राजनीतिक करियर 40 साल से ज्यादा समय का रहा है। उन्होंने विधायक से लोकसभा अध्यक्ष तक का सफर तय किया है। उनकी गिनती बीजेपी के दिग्गज नेताओं में होती है।

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ओम बिड़ला ने 2003 में कोटा दक्षिण से चुनाव लड़कर अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था। उन्होंने कांग्रेस के शांति धारीवाल को 10,101 मतों के अंतर से हराया था। अगले विधानसभा चुनाव में, उन्होंने 2008 में कांग्रेस के अपने निकटतम उम्मीदवार राम किशन वर्मा से 24,300 मतों के आरामदायक अंतर से अपनी सीट बचाई। संसद सदस्य बनने से पहले, उन्होंने 2013 में पंकज मेहता (कांग्रेस) के खिलाफ़ अपना तीसरा विधानसभा चुनाव लगभग 50,000 मतों से जीता था। 2003-08 में अपने कार्यकाल के दौरान, वे राजस्थान सरकार में  संसदीय सचिव  (एमओएस रैंक) थे। 

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मारवाड़ी हिंदू परिवार में हुआ है जन्म

ओम बिड़ला का जन्म 23 नवंबर 1962 को श्रीकृष्ण बिड़ला और शकुंतला देवी के घर मारवाड़ी हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज, कोटा और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर से वाणिज्य में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की। उन्होंने 1991 में अमिता बिड़ला से शादी की और उनकी दो बेटियाँ आकांक्षा और अंजलि हैं। 

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अब तक कोई भी चुनाव नहीं हारे

ओम बिरला साल 2003 अब तक कोई भी चुनाव हारे नहीं हैं। साल 2003 में उन्होंने कोटा से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। साल 2008 में उन्होंने कोटा दक्षिण सीट से कांग्रेस नेता शांति धारीवाल को शिकस्त दी थी। साल 2013 में उन्होंने तीसरी बार कोटा दक्षिण सीट से चुनाव जीता था। हालांकि लोकसभा चुनाव उन्होंने पहली बार साल 2014 में लड़ा और विजयी भी हुए। तब से लेकर अब तक यानी कि 2019 और 2024 में उन्होंने जीत का ही स्वाद चखा है। साल 2019 में बीजेपी ने जब उनको स्पीकर बनाया, तो हर कोई हैरान रह गया। लंबा संसदीय अनुभव न होने के बाद भी ओम बिरला ने जिस तरह से सदन को चलाया, वह तारीफ-ए-काबिल रहा।

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इनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसलों पर लगे मुहर

ओम बिरला ऐसे पहले लोकसभा स्पीकर हैं, जिनके नाम पर नए और पुराने दोनों संसद भवनों में काम करने का रिकॉर्ड है। 17वीं लोकसभा में उनका कार्यकाल काफी चर्चा में रहा, क्यों कि उनके अध्यक्ष रहते ही टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किया गया था। साथ ही बड़ी तादात में सांसदों को भी सस्पेंड किया गया था। उनके ही कार्यकाल में अनुच्छेद 370 खत्म होने, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने, तीन आपराधिक कानून लागू होने समेत अनेक अहम  विधायी कामकाज हुए। ओम बिरला ऐसे इकलौते लोकसभा अध्यक्ष रहे, जिनके कार्यकाल में कोई भी लोकसभा उपाध्यक्ष नहीं चुना गया।

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अब तक किन पदों पर रहे हैं ओम बिरला

  • 19 जून 2019 को वह सर्वसम्मति से 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष निर्वाचित किए गए.
  • साल 2019 में वह 17वीं लोकसभा में कोटा बूंदी  लोकसभा क्षेत्र से सासंद चुने गए. 
  • साल 2014 में 16वीं लोकसभा में भी वह कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए. 
  • साल  2003, 2008 और 2013 में राजस्थान विधानसभा में वह कोटा और कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गए.
  • साल 2009-10 में वह राजकीय उपक्रम समिति के सदस्य और सामान्य प्रयोजनों संबधी समिति के सदस्य रहे. 
  • 1997-2003 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे. 
  • 1993-1997 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा राजस्थान प्रदेश के अध्यक्ष रहे. 
  • 1987-1991 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा कोटा जिलाध्यक्ष रहे. 
  • 2002-2004 तक वह राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लि. नई दिल्ली के उपाध्यक्ष रहे. 
  • 1992-2004 तक वह राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लि. नई दिल्ली के डायरेक्टर रहे. 
  • 1992-1995 तक वह राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लि, जयपुर के अध्यक्ष रहे. 
  • 1987-1995 तक वह कोटा सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार लि., कोटा के अध्यक्ष रहे. 
  • 1978-1979 तक वह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, गुमानपुरा, कोटा के छात्र संघ अध्यक्ष रहे. 

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