Food Department Disclosure on Fake Manikchand and Sitar Gutkha: रायपुर खाद्य विभाग की जांच टीम ने होश उड़ाने वाला खुलासा किया है. नकली माणिकचंद और सितार गुटखे का काला कारोबार का कच्चा चिट्ठा खोला है. जांच रिपोर्ट में बड़ी मात्रा में जिस गुटखा को पकड़ा गया था, वह जानलेवा साबित हुआ है. खाद्य विभाग के मुताबिक यहीं आउटर की फैक्ट्री में बनाकर पूरे छत्तीसगढ़ में बेचा जा रहा था. मौत का सामान हर गली कस्बे में पहुंचाया जा रहा था. इस पर खाद्य विभाग की जांच टीम ने होश उड़ाने वाला खुलासा किया है. मौत के सौदागर ने एक सीक्रेट फैक्ट्री खोलकर रखा था, जिसका भंडाफोड़ हो गया. वहीं नशे का सौदागर फरार बताया जा रहा है, जिसकी तलाश जारी है.

दरअसल, मंदिर हसौद की अवैध फैक्ट्री में बनाए जा रहे नकली माणिकचंद और सितार गुटखा खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की जांच में अनसेफ यानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक निकला है. यह जानलेवा गुटखा पिछले एक साल से छत्तीसगढ़ समेत देश के कई राज्यों में सप्लाई किया जा रहा था.

31 मई की रात खाद्य विभाग की टीम ने फैक्ट्री पर छापा मारकर एक करोड़ से अधिक का गुटखा और कच्चा माल जब्त किया था. अगले दिन 1 जून को गुटखा और कच्चे माल का नमूना जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया. जांच के दौरान गुटखा के साथ-साथ गुटखा बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल यानी सुपारी, कत्था, एसेंस और मैग्नीशियम कार्बोनेट का मिश्रण स्वास्थ्य के लिए घातक निकला है.

छापेमारी के बाद फैक्ट्री संचालक फरार

प्रयोगशाला से रिपोर्ट मिलने के बाद अब खाद्य विभाग ने 31 मई से लापता फैक्ट्री संचालक गुरमुख जुमनानी की तलाश तेज कर दी है. खाद्य विभाग के अधिकारियों को एक संदिग्ध ट्रक का नंबर मिला है. उसी से पूरे प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी गुटखा सप्लाई किया जाता था.

ट्रक के मालिक का पता लगाने के लिए आरटीओ को पत्र लिखा गया है. इसके अलावा जिस स्थान पर फैक्ट्री चल रही थी, उसके मालिक का पता लगाने के लिए रजिस्ट्री विभाग से खसरा नंबर के आधार पर जानकारी मांगी गई है. रजिस्ट्री और वाहन नंबर के आधार पर जमीन के मालिक और ट्रक संचालक का पता चल जाएगा.

15 दिन तक आधी रात की रेकी, फिर दबिश

जब खाद्य विभाग की टीम को अवैध फैक्ट्री की भनक लगी तो अधिकारियों की टीम ने जांच शुरू कर दी. फैक्ट्री में सिर्फ रात को काम होता था. इसलिए 15 दिन तक आधी रात को रेकी की गई. इसके बाद 31 मई की रात छापेमारी की गयी. उस वक्त वहां 70 मजदूर पैकिंग कर रहे थे.

MP और झारखंड के मजदूरों से सीक्रेट वर्क

छापेमारी की भनक लगते ही फैक्ट्री का मैनेजर पिछले दरवाजे से भाग निकला. मजदूरों से पूछताछ में पता चला कि सभी एमपी और झारखंड के रहने वाले हैं. उन्हें वहीं रखकर काम कराया गया. वहां भोजन की व्यवस्था की गई, ताकि वे बाहर जाकर किसी से न मिल सकें.

2 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान

गुटखा फैक्ट्री चलाने वाले का पता लगाकर उसे नोटिस भेजकर जवाब तलब किया जाएगा. अगर वह नहीं आए तो उनके बयान के बिना रिपोर्ट के आधार पर केस बनाया जाएगा. मंजूरी के लिए केस ड्रग कंट्रोलर के पास भेजा जाएगा, फिर मामला एसडीएम की कोर्ट में पेश किया जाएगा. खाद्य अधिनियम के तहत अपराध साबित होने पर अधिकतम 2 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.

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