रायपुर। बीज विकास निगम से खरीदी प्रक्रिया पर सवालों के बादल गहराने लगे हैं। एक वरिष्ठ आईएएस द्वारा सवाल उठाने के बाद ये बात तय है कि कृषि विभाग के इस निगम के पास कोई अधिकार नहीं है फिर भी ये दूसरे विभागों के लिए करोड़ो-अरबों की खरीदी कर रहा है। अहम बात है कि इसमें बाकायदा बिचौलिए की तरह निगम कमीशन काटकर आपूर्तिकर्ता को भुगतान करता है.
चर्चाओं के मुताबिक इन तथ्यों के सामने आने के बाद कुछ विभागों ने बीज निगम के रेट कॉन्ट्रैक्ट पर खरीदी न करने का फैसला किया है.
दरअसल छत्तीसगढ़ में भंडार क्रय नियम 2002 के मुताबिक सरकारी सामानों की खरीदी होती है। इस नियम में समस्त सरकारी खरीदी की प्रक्रिया क्या होगी, इसके नियम बनाये गए हैं। इस कानून के नियम 3 में कहा गया है कि परिशिष्ट 1 में शामिल वस्तुओं की खरीदी छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन (सीएसआईडीसी) द्वारा दरों और खरीद की शर्तों का निर्धारण किया जाएगा। विभाग सीधे इसकी खरीदी कर सकेंगे। और जो वस्तुएं परशिष्ठ एक मे शामिल नहीं है उसके लिए नियम 4 लागू होगा.
इसी नियम में इस बात का उल्लेख है कि वे वस्तुएं जिसकी विशिष्टियां और दरें केंद्र सरकार की डीजीएस एंड डी और जैम में हैं, उसका रेट कॉन्ट्रैक्ट सीएसआईडीसी में नहीं किया जाएगा.
इसी नियम में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिक सम्बन्धी खरीदी और मूल्य निर्धारण का अधिकार चिप्स को दिया गया है।
नियम चार में खरीदी टेंडर के ज़रिए करने का प्रावधान है। इसमें अलग -अलग मूल्य के लिए विभिन्न प्रकार की निवादा बुलाने का ज़िक्र है.
इसके अलावा छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम 2002 के नियम 8 में किसी भी विभाग के हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के क्रय क अधिकार छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड एवं छत्तीसगढ़ हथकरघा विकास एवं विज्ञापन सहकारी संघ मर्यादित को दिया गया है। हालाकिं आगे कुछ वस्तुओं में छूट भी प्रदान की गई है.
इस बारे में बीज विकास निगम के महाप्रबंधक नरेश नरेंद्र दुग्गा का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से एक सर्कुलर निकाला गया था जिसके आधार पर बीज निगम खरीदी करती है बड़ा सवाल है कि क्या सर्कुलर विधानसभा से पारित नियम पर भारी पड़ सकता है महत्वपूर्ण बात यह है कि लाखों करोड़ का कोयला घोटाला इसी सर्कुलर के आधार पर आवंटित करने के कारण हुआ था हालांकि नरेंद्र दुग्गा मांगने पर भी वह सर्कुलर अभी तक उपलब्ध नहीं करा पाए हैं.