प्रमोद निर्मलकर,राजनांदगांव. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों के मुताबिक प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही उनके आह्वान पर सारा राष्ट्र स्वच्छ भारत मिशन को कारगर करने में जुटा है। लेकिन यहाँ गंदगी की ढेर के सामने हर रोज बापू की तश्वीर शर्मिंदा होती है। देखते ही देखते चार साल बीत गए इस स्वच्छ भारत अभियान को। समय समय पर विभिन्न आयोजन के जरिये स्वच्छ्ता के प्रति जागरूकता फैलाने का क्रम भी जारी है। शनिवार को इसी तर्ज पर शुरू हो रहे स्वच्छता पखवाड़े का आगाज मानपुर में किया गया। स्वच्छ भारत अभियान की सफलता हेतु पीएम मोदी के साथ आम जन भी गांव, गली, शहर, देश, प्रदेश, को स्वच्छ बनाने का बीड़ा उठाए हुए हैं। वहीं जिले के मानपुर ब्लॉक मुख्यालय में स्वच्छता पखवाड़े की सुरवात के लिए आयोजित स्वच्छता अभियान की रैली कार्यक्रम की जो तस्वीर देखने को मिली वह न केवल शासन प्रसासन बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री और स्वच्छता की पैरवी करने वाले हर एक सख्स को सर्मिन्दा कर दे।
गाँव भर गंदगी और बस स्टैंड में स्वच्छता पर भाषण
दरअसल स्थानीय हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों ने यहाँ स्वच्छता को लेकर रैली निकाली थी। जैसे ही ये रैली यहाँ बस स्टैंड में पहुंची सभी स्कूली बच्चों को बस स्टैंड में खड़ा करा दिया गया। यहाँ मौजूद जनपद पंचायत सीईओ, ग्राम पंचायत के सरपंच, भाजपा मंडल अध्यक्ष सह सांसद प्रतिनिधि सहित अन्य शासकीय कर्मियों और नेताओं की मैजूदगी में स्वच्छता का संदेश भाषणों द्वारा दिया गया। अफसर सहित नेताओ ने अपने भाषण में जमकर स्वच्छता का बखान किया। दूसरी ओर गाँव की तस्वीर देखें तो चहुंओर गंदगी का आलम। ऐसे में जो ग्राम पंचायत व प्रसासनिक अमला गाँव में स्वच्छता सुनिश्चित करने में नाकाम साबित हो रहा है उनके द्वारा लोगों को स्वच्छता का संदेश देना, खुद के दामन में दाग और दूसरों को सफाई का संदेश परोसने वाला ही लगता है।
रोजाना फैलाती बदबू और बीमारी
स्थानीय प्रसासन और नेताओं की कथनी करनी में कितना फर्क है इसको इसी बात से समझा जा सकता है कि जहाँ भाषण से लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जा रहा था उसी जगह पर कई दिनों से यहाँ बस स्टैंड पर ही शासकीय दफ्तर और मुख्य मार्ग के पास पड़े भारी मात्रा में गंदगी, मल-मूत्र व कचरे का ढेर भिनभिनाती मख्खियों के साथ मिलकर न केवल बदबू बल्कि बीमारी फैला रहा था। यही नही नेता-अफसर जहां खड़े होकर शौचालय की उपयोगिता लोगों को बता रहे थे उसके ठीक पीछे ही लापरवाही का नमूना सुलभ शौचालय जिसका स्वच्छता से दूर दूर तक नाता नही है वह भी गंदगी का पर्याय ही बना रहा। गाँव मे जगह जगह कूड़े कचरों का ढेर पड़ा लोगों को बीमारियां परोसते रहता है जिसकी सुध जिम्मेदारों द्वारा कभी नही ली जाती। कचरे की पेटियां टूटी फूटी पड़ी है। कचरे सड़कों में बिखर रहे हैं। प्रसासन अपनी जिम्मेदारी तो निभा नही पा रहा है और दूसरों को स्वच्छता की जिम्मेदारी सीखा रहा है।
क्लिक हुआ कैमरा और थम गई रैली, कचरा भी साफ
बस स्टैंड में अफसर नेताओं की स्वच्छता पर भाषण के बाद स्कूली बच्चों की रैली नगर भ्रमण के लिए आगे निकली। रैली की अगुवाई जनपद सी ई ओ शासकीय कर्मियों के साथ खुद कर रहे थे। जैसे ही रैली ग्रामीणों को स्वच्छता का संदेश देने बस स्टैंड से कुछ कदम आगे बढ़ी वैसे ही यहाँ सड़क किनारे मख्खियां बिनभिनते भारी मात्रा में पड़े मल मूत्र से युक्त कचरे की ढेर के साथ स्वच्छता रैली की तस्वीर कैमरे में क्लिक हुई और कचरे को नजरअंदाज कर आगे बढ़ रही रैली वहीँ रुक गई। दरअसल यहाँ मौजूद हमारे संवाददाता ने ये तश्वीर अपने कैमरे में कैद कर ली। स्वच्छ्ता के दावों और दंभी नारो की हकीकत कैमरे में कैद होते देख जिम्मेदारों ने रोजाना गंदगी और बीमारियां परोसने वाले कचरे की सुध ली। आनन-फानन में तुरंत पंचायत के स्वच्छता कर्मियों को बुलाकर कचरे को साफ करा दिया गया।
बच्चों की पढ़ाई चौपट करने का क्या औचित्य जब खुद गंभीर नहीं
ग्राम पंचायत व स्थानीय प्रसासन की जवाब देही है कि गाँव को स्वच्छ बनाने की हर कारगर काम सुनिश्चित करे। लेकिन ग्राम पंचायत व स्थानीय जनपद पंचायत स्वच्छ भारत मिशन को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है। गाँव गाँव में लाउडस्पीकर से स्वच्छता का संदेश लोगों को परोसने में सरकारी राशि पानी की तरह बहाया जा रहा है। लेकिन स्वच्छता को फलीभूत करने जमीनी स्तर पर कारगर काम नही किया जाता। कागजो में स्वच्छता की सफलता सुनिश्चित कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली जा रही है। दूसरी ओर स्कूली बच्चों को स्कूल से स्वच्छता रैली निकलवाकर उनकी पढ़ाई चौपट किया जाने का क्या औचित्य जब पंचायत स्वयं अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम हो। खुद के दामन में गैरजिम्मेदारी का दाग रखने वाला प्रसासन और पंचायत का दूसरों को सफाई का संदेश देना हास्यास्पद ही लगता है।