इमरान खान,खंडवा। अपने ने सौंदर्य साबुन के बड़े-बड़े विज्ञापन देखें जो फिल्म स्टार द्वारा किए जाते हैं लेकिन आज हम आपको ऐसे खूबसूरत सौंदर्य साबुन दिखाते हैं जो गांव की महिलाओं ने बकरी के दूध और जड़ी बूटियों से अपने हाथों से तैयार किया है। जिसका प्रचार कोई बड़े फिल्म स्टार नहीं बल्कि खुद महिलाएं कर रही हैं। लक्ष्य देश के कोने कोने तक अपनी कला को पहुंचाना और आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ना है।

खंडवा जिले के जावर में आत्मनिर्भर भारत की मिसाल देखने को मिल रही है। यहां की महिलाएं बकरी के दूध और अन्य जड़ी-बूटियों से साबुन बनाने का प्रशिक्षण ले रही हैं। इनके बनाए एक साबुन की कीमत 250 से 350 रुपए तक है। ऑनलाइन ऑर्डर के मध्यम से यह साबुन की डिमांड भारत के अन्य राज्यों से आने लगी है।

जावर की रहने वाली इन महिलाएं द्वारा बनाए साबुन देश के महानगरों तक पहुंचाने की तैयारी इन महिलाओं द्वारा की जा रही है इसके लिए यह महिलाएं सोशल मीडिया सहित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रही है। इनके बनाए एक साबुन की कीमत 250 रुपए से लेकर 350 रुपए तक है। खंडवा जिले में हनुमंतिया टापू जैसा पर्यटक स्थल होने के चलते इन महिलाओं को उम्मीद है कि इन साबुन की डिमांड देश के कोने कोने तक पहुंच सकती है।

सफलता की यह कहानी है खंडवा के जावर की जहां पहले तो इन महिलाओं ने साबुन बनाने का प्रशिक्षण लिया। बकरी के दूध और आयुर्वेदिक वस्तुओं से साबुन बनाने की योजना में इन महिलाओं को सफलता मिली है। इन महिलाओं द्वारा बनाए प्रोडक्ट की दिल्ली, मुंबई सहित अन्य शहरों से मांग है। महिलाओं ने बताया कि इस साबुन में वाटरमेलन, गुलाब की पत्तियों, चारकोल, एलोवेरा और बकरी के दूध से ट्रांसपेरेंट साबुन अपने हाथों से तैयार कर रही है। इसके लिए केंद्रीय सरकार के कौशल विकास मंत्रालय की संकल्प योजना के माध्यम से आईटीआई खंडवा द्वारा आजीविका मिशन के तहत संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को इसका परीक्षण दिया जा रहा है ताकि महिलाओं को आत्मनर्भर बनाया जा सके। और इन महिलाओं को अपने ही गांव में रोजगार मिल सके। जानकारी प्रियंका आर्य सहायक ब्लॉक प्रबंधक जावर एवं प्रतीक्षा वासन आर्ट्स संस्था ने दी।

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