रायपुर। अग्रवाल सभा रायपुर के पूर्व संरक्षक सुरेश गोयल के अलग अग्रवाल सभा के गठन पर समाज के भीतर गम और गुस्सा है. युवा अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और अग्रवाल सभा के वरिष्ठ सदस्य हरि वल्लभ अग्रवाल ने सुरेश गोयल के इस कदम को दुर्भाग्यजनक बताते हुए कहा कि यह समाज के हित में नहीं है. जिस संस्था समाज ने आपको पूरे बीस साल तक पलक पांवड़े पर बिठाया हो, उसे क्षति पहुंचाना कतई उचित नहीं है.

अग्रवाल सभा के वरिष्ठ सदस्य हरि वल्लभ अग्रवाल ने सार्वजनिक बयान जारी कर समाज के दर्द का इजहार किया है. उन्होंने कहा कि समाज ने आपको (सुरेश अग्रवाल) दो बार अध्यक्ष और दो बार उनके द्वारा अनुशंसित जगदीश प्रसाद व नवल किशोर को अध्यक्ष बनाया. रायपुर की अग्रवाल सभा लगभग सौ साल पुरानी है, जिसमें पहले भी कई गुट बने और बिगड़े, लेकिन किसी ने भी समाज में दो फाड़ करने पर विचार नहीं किया.

उन्होंने कहा कि जब पहली बार राजकमल सिंघानिया, सियाराम ने सुरेश गोयल का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया था, उस बैठक में मैं भी था. हमने उनकी कार्यक्षमता को समझ एक स्वर में उनके नाम का समर्थन किया था. उस समय विरोधी गुट में होने के बावजूद रामजीलाल का परिवार दिल बड़ाकर सुरेश गोयल का समर्थन किया. समाज ने दो दशक उन्हें (सुरेश गोयल) मान-सम्मान दिया, उनकी कही बातों को माना, लेकिन क्या समाज उनके पसंद के ही व्यक्ति को आजीवन अध्यक्ष बनाएगा? यह बड़ा जटिल प्रश्न सर्व समाज को दिशा देने वाले बुद्धिजीवी कहलाने वाले अग्रवाल समाज के सामने है.

हरि वल्लभ अग्रवाल ने कहा कि विगत वर्षों में समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने वालों का समाज के कार्यक्रमों में मान-सम्मान होना बंद हो गया था. सियाराम जब अध्यक्ष थे, और मैं जयंत संयोजक था, तब मोहल्ला समिति का गठन कर हर मोहल्ले के हर व्यक्ति को जोड़ना प्रारंभ किया. इस दौरान तत्कालीन सभा से मतभेद होने के बाद भी रामजीलाल हर बैठक में आते थे. रामजीलाल, महावीर, गोवर्धन दास के निर्देशन पर मेरे द्वारा प्रयत्न कर पुरानी बस्ती के चालीस बरई लोगों की जमीन समता कालोनी में खरीदी गई, जिसमें जगदीश प्रसाद, सुरेश गोयल सहित संपूर्ण समाज का आर्थिक योगदान था. इसे निजी ट्रस्ट को दिया गया, जिसमें मैक कॉलेज बनाया गया. इसके एवज में अग्रसेन धाम बनाने की बात तय हुई थी.

अग्रवाल सभा के वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि समाज में कई मतभेद हुए हैं, पर मनभेद व समाज की टूट तक नहीं पहुंच सका. अपनी महत्वकांक्षा के लिए समाज की नई ईकाई का गठन समाज हित में कतई नहीं है. अग्रविभूति स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा लाला लाजपत राय ने कहा है कि संस्थाओं का निर्माण व संचालन वे ही लोग कर सकते है, जो अपने सिद्धान्तों व समाज सेवा के संकल्पों को पूरा करने सब कुछ सहने को तैयार हो. नए संगठन को समाज हित में तुरंत समाप्त कर सभा के संरक्षक सुरेश गोयल को पूर्व के भांति अपना स्नेह बनाए रखना चाहिए.