नई दिल्ली। श्रीलंका अपने ज्ञात इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. राशन से लेकर रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल तक के लिए लोगों को घंटों नहीं दिनों इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे ही हालात भारत में भी हो सकते हैं, अगर राजनीतिक दल फ्री स्कीम का झुनझुना लोगों को न थमाएं. इस चिंता से देश के वरिष्ठ नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अवगत कराया.

मोदी ने बीते दिनों 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने शिविर कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे की लंबी बैठक की. बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष नौकरशाह भी शामिल हुए.

पीएम मोदी ने नौकरशाहों से कहा कि वे कमियों के प्रबंधन की मानसिकता से बाहर निकलकर अधिशेष के प्रबंधन की नई चुनौती का सामना करें. कोविड-19 महामारी के दौरान सचिवों की टीम की तरह काम करने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में कार्य करना चाहिए, न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए.

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बैठक में सचिवों ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा की, दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया, जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है. उन्होंने साथ ही अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वे आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं, और राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं.

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पीएम मोदी ने सचिवों से फीडबैक देने और सरकार की नीतियों में खामियों पर सुझाव देने के लिए भी कहा, जिनमें वे भी शामिल हैं जो उनके संबंधित मंत्रालयों से संबंधित नहीं हैं. ऐसी बैठकों के अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने शासन में समग्र सुधार के लिए नए विचारों का सुझाव देने के लिए सचिवों के छह-क्षेत्रीय समूहों का भी गठन किया है.