रोहित कश्यप, मुंगेली। धान समर्थन मूल्य योजना को लेकर शासन भले ही गंभीर हो, लेकिन उपार्जन व्यवस्था आज भी तकनीकी गड़बड़ियों से जूझ रही है। जिले के मुंगेली के 105 उपार्जन केंद्रों में सर्वर बार-बार फेल होने से किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। सुबह से धान बेचने पहुंचे किसानों का आधार वेरिफिकेशन और बायोमैट्रिक बेहद स्लो होने के कारण घंटों तक कामकाज अटक गया।

लल्लूराम डॉट कॉम ने गीधा उपार्जन केंद्र का जायजा लिया तो पाया कि यहां आज 31 किसानों ने धान बेचा, पर सिर्फ 7 किसानों का ही सत्यापन खबर बनाते वक्त तक हो सका था। किसान बताते हैं कि धान बेचने के बाद भी वे केंद्र में ही कई-कई घंटे फंसे रहे, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई।

समस्या सिर्फ सत्यापन की नहीं है। शासन ने उपार्जन केंद्रों में माइक्रो एटीएम से त्वरित भुगतान का प्रावधान किया है, लेकिन यह व्यवस्था व्यावहारिक स्तर पर लगभग नाकाम है। न किसानों को इसकी पूरी जानकारी है और न ही कई किसानों के पास एटीएम कार्ड है। केंद्रों में लगे बोर्डों पर ‘माइक्रो एटीएम से भुगतान’ तो लिखा है, लेकिन धरातल पर स्थिति अलग है। इस उपार्जन केंद्र में अब तक एक भी किसान को माइक्रो एटीएम से भुगतान इस सत्र में नहीं किया गया है।

किसानों की एक और बड़ी मांग यह है कि दैनिक खरीदी सीमा 1000 क्विंटल को बढ़ाया जाए। टोकन कटने के बाद खरीदी की तारीख कई जगहों पर एक सप्ताह से लेकर 15 दिन बाद मिल रही है। इससे किसानों में नाराज़गी लगातार बढ़ रही है। हालांकि प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी और तौलाई का खर्च समिति द्वारा वहन करने की व्यवस्था पहले की तरह जारी है, पर सॉफ्टवेयर फेलियर, भुगतान में देरी और लंबी प्रतीक्षा ने पूरी खरीदी व्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित कर दिया है।