सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) के उस फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है, जिसमें मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को बरकरार रखा गया था। मजिस्ट्रेट अदालत ने मेधा पाटकर(Megha Patkar) की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने एलजी मानहानि मामले में एक अन्य गवाह से जिरह की अनुमति मांगी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी साफ कर दिया था कि मामले में किसी नए गवाह को अनुमति नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट अदालत (जेएमएफसी) के आदेश को सही ठहराते हुए कहा था कि इस तरह की मांग केवल दशकों पुराने मुकदमे को लंबा खींचने का प्रयास है।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगी है। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने उनकी याचिका खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान उनके वकील ने याचिका वापस लेने की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने साफ कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है।
मेधा पाटकर ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि दिल्ली हाईकोर्ट ने गलत तरीके से मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें उन्हें एलजी मानहानि मामले में एक अन्य गवाह से जिरह की अनुमति देने से मना कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इस तरह की मांग केवल मामले को लंबा खींचने का तरीका है, इसलिए नए गवाह को अनुमति नहीं दी जा सकती।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा था कि नए गवाह को अनुमति देना केवल मामले में देरी करने का उपाय है। यह केस दशकों से लंबित है और अब तक किसी भी गवाह ने आरोपों को साबित नहीं किया है। वहीं, मेधा पाटकर की दलील थी कि हाईकोर्ट ने अपने ही आदेश में यह भी कहा था कि मजिस्ट्रेट के लिए शिकायतकर्ता के समर्थन में दिए गए सभी सबूतों पर विचार करना जरूरी है। उनका कहना था कि ऐसे में नए गवाह को रोकना न्यायसंगत नहीं है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है।
मजिस्ट्रेट अदालत ने स्पष्ट किया था कि सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत जो गवाह सूची में शामिल नहीं है, उसकी जांच किसी अन्य प्रावधान का सहारा लेकर नहीं की जा सकती। यही आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया था और कहा था कि नए गवाह की मांग केवल मुकदमे को लंबा खींचने की कोशिश है। मेधा पाटकर और वर्तमान में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने एक-दूसरे के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मुकदमे दायर किए थे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को वी.के. सक्सेना द्वारा दर्ज मामले में मेधा पाटकर की दोषसिद्धि की पुष्टि की थी।
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