सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग ने स्वयं के व्यय से बीएड-डीएड करने वाले 1993 के बाद नियुक्त शिक्षकों के लिए आदेश जारी कर अग्रिम वेतनवृद्धि के लिए अपात्र बता दिया है. इस आदेश से सैकड़ों शिक्षकों को निराशा हाथ लगी है.

स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 जून 2018 को आदेश जारी कर 1 जुलाई 2018 को आठ वर्ष या उससे अधिक अवधि से सेवाएं देने वाले शिक्षकों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन कर लिया था, इसके बाद से 01 जनवरी और 01 जुलाई को आठ वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर शिक्षाकर्मियों का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जा रहा है.

इससे पहले स्कूल शिक्षा विभाग में 1993 से पूर्व की नियुक्तियों में डीएड/बीएड अनिवार्य नहीं था, जिसके बाद शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए बीएड और डीएड कोर्स को लागू किया गया, वहीं इन कोर्स करने के लिए शिक्षकों को प्रोत्साहित करने स्वयं के व्यय से बीएड-डीएड करने वाले शिक्षकों के लिए अग्रिम वेतन वृद्धि की पात्रता दी.

लेकिन 1993 में शासन ने शिक्षकों की भर्ती के लिए -डीएड करने वाले अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी गई, और वैसे अभ्यर्थी न मिलने की स्थिति में नॉन बीएड-डीएड को लिया गया, जिन्हें यह करना ही था. लेकिन इस अवधि के बाद भर्ती होने वाले शिक्षकों ने स्वयं के व्यव पर बीएड-डीएड करने के बाद अग्रिम वेतन वृद्धि के लिए विभाग से लेकर अदालत तक का दरवाजा खटखटाया.

स्थिति को देखते हुए अब स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि 1993 के बाद स्वयं के व्यय से बीएड-डीएड करने वाले शिक्षक अग्रिम वेतनवृद्धि के पात्र नहीं होंगे, क्योंकि यह उनकी उच्च आहर्ता नहीं बल्कि अनिवार्यता है.