भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौता फिलहाल ठप पड़ गया है। अमेरिका द्वारा मक्का और सोयाबीन जैसे कृषि उत्पादों पर कम आयात शुल्क लगाने की मांग को भारतीय अधिकारियों ने खारिज कर दिया है। अमेरिका चाहता है कि ये प्रोडक्ट भारत में सस्ते बिकें। लेकिन भारत को आशंका है कि इससे देश के किसानों को नुकसान पहुंचेगा और साथ ही जीन संशोधित (GM) खाद्य पदार्थों के स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर भी चिंता है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि अगर अमेरिका के सस्ते GM फूड भारत में आ जाएंगे, तो भारतीय किसानों की फसलें बिकना मुश्किल हो जाएगी। सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि वार्ता में फिलहाल इन्हीं वजहों से बड़ी अड़चन आ गई है।

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सरकार के अंदर इस बात को लेकर सहमति है कि अगर 9 जुलाई की समय सीमा तक कोई सीमित समझौता नहीं हो पाया, तो घरेलू उद्योग को 26 प्रतिशत आयात शुल्क के लिए तैयार रहना होगा। इसके पीछे यह भी वजह है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा सभी देशों पर लागू किए जाने वाले 10 प्रतिशत के बुनियादी टैरिफ का प्रस्ताव भारत को पर्याप्त नहीं लग रहा।

ट्रेड डील क्या है और इसका मकसद क्या है?

ट्रेड डील भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता है, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के सामान पर इम्पोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) कम करके व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। भारत चाहता है कि उसके टेक्सटाइल, चमड़ा, दवाइयां, और कुछ इंजीनियरिंग सामान पर अमेरिका में जीरो टैक्स लगे, जबकि अमेरिका अपने कृषि और औद्योगिक उत्पादों के लिए भारत में बाजार चाहता है।

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अमेरिका की मांगें क्या हैं?

अमेरिका चाहता है कि भारत GM फसलों (मक्का, सोयाबीन) और अन्य कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे। साथ ही, वो मेडिकल डिवाइसेज पर टैरिफ और डेटा लोकलाइजेशन नियमों में ढील चाहता है। अमेरिका अपने डेयरी उत्पादों, गाड़ियों, और व्हिस्की जैसे सामानों के लिए भी कम शुल्क की मांग कर रहा है।

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भारत डील में अपनी तरफ से क्या चाहता है?

भारत चाहता है कि अमेरिका उसके टेक्सटाइल, चमड़ा, दवाइयां, और ऑटो पार्ट्स पर शुल्क हटाए या कम करे। भारत ने शुरू में शून्य शुल्क की मांग की थी, लेकिन अब कम से कम 10% बेसलाइन टैरिफ पर सहमति की उम्मीद है, जो अमेरिका सभी देशों पर लागू कर रहा है।

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अब तक हुई बातचीत में क्या निकला?

बातचीत की शुरुआत में भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण वस्तुओं जैसे वस्त्र, चमड़े के उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग गुड्स और ऑटो पार्ट्स पर शून्य शुल्क की उम्मीद जताई थी। वहीं, अमेरिकी वार्ताकारों ने भारत को स्पष्ट किया है कि ट्रंप प्रशासन तत्काल शून्य टैरिफ पर जाने को तैयार नहीं है। साथ ही, भारत ने यह भी अनुरोध किया है कि समझौता होने के बाद भविष्य में शुल्क संबंधी किसी भी कार्रवाई से उसे छूट मिले।

भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ तनाव भी व्यापार वार्ताओं को प्रभावित कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को रोकने में मध्यस्थता करने का दावा किया था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खारिज कर दिया था। इससे दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने में बाधा आई है, जो व्यापार संबंधों को सुलझाने में सहायक होता। अब यह देखना होगा कि भारत और अमेरिका इस गतिरोध को कैसे सुलझाते हैं, क्योंकि दोनों ही देशों के लिए यह समझौता आर्थिक सहयोग के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।