संदीप भम्मरकर, भोपाल। मध्य प्रदेश में गंभीर बिजली का संकट आन पड़ा है. ग्रामीण इलाकों में 2-2 घंटे की कटौती शुरु हो गई है. 10-10 जिलों के क्लस्टर बनाकर बिजली की कटौती हो रही है. प्रदेश में बिजली की जरुरत 10 हजार MW है, लेकिन 8 हजार ही उपलब्ध है. जिसके चलते कमी को पूरा करने के लिए बिजली की कटौती शुरु हुई है.

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बताया जा रहा है कि कोयला कंपनी ने सरकारी भुगतान नहीं होने पर सप्लाई बंद कर दी है. वहीं सिंगाजी पावर प्लांट में बिजली का उत्पादन आधा हो गया है. सिंगाजी पावर प्लांट की 2400 MW में से 1200 MW की बिजली उत्पादन इकाइयां भी बंद हैं. जबकि संजय गांधी पावर प्लांट में भी कोयला खत्म होने की कगार पर है. दोनों पावर प्लांट से बिजली उत्पादन रुकने से बिजली का संकट और गहरा सकता है.

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वहीं कमल नाथ सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे प्रियव्रत सिंह का सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. उनका कहना है कि सरकार बिजली खरीदकर भी जनता को बिजली नहीं दे पा रही है. सरकार ने सब्सिडी रोककर प्रदेश को बिजली संकट में डाल दिया है.

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बिजली अभियंता संघ ने भी राज्य सरकार को चेताया है. बिजली अभियंता संघ का कहना है कि कोयले की कमी के कारण बिजली सकंट के हालात बन रहे हैं. संघ ने सरकार से कोयले का भुगतान करके संकट से निजात देने की मांग की है. बिजली अभियंता संघ के महासचिव वीकेएस परिहार का कहना है कि सरकार से पहले ही हालात बता दिए गए थे.

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