चंडीगढ़। कोयले की कमी के कारण पंजाब अपने थर्मल प्लांटों में तीव्र बिजली की कमी का सामना कर रहा है. राज्य के अधिकारियों ने शनिवार को इसकी जानकारी दी है. अधिकारियों का कहना है कि चूंकि अधिकांश संयंत्र जीवाश्म ईंधन भंडारण के साथ छोड़ दिए गए हैं, इसलिए वे न्यूनतम क्षमता पर काम कर रहे हैं. नतीजतन 5 थर्मल प्लांटों में 5,680 मेगावाट की संयुक्त स्थापित क्षमता के मुकाबले केवल 3,327 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है. 7 हजार 500 मेगावाट से अधिक की मांग के साथ पंजाब स्टेट पॉवर कॉर्प लिमिटेड के पास ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अनिर्धारित लंबी बिजली कटौती का सहारा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. इस सप्ताह तलवंडी साबो और रोपड़ में दो प्रमुख बिजली उत्पादन सुविधाओं के ठप होने के कारण राज्य एक गंभीर संकट में फंस गया है.
रोपड़ थर्मल पॉवर प्लांट ने गुरुवार को उत्पादन फिर से किया शुरू
रोपड़ थर्मल पॉवर प्लांट ने गुरुवार को उत्पादन फिर से शुरू किया, जबकि तलवंडी साबो ने शुक्रवार तक अपना परिचालन शुरू कर दिया. बिजली गुल होने से आक्रोशित किसान संगठन किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के बैनर तले अमृतसर में बिजली मंत्री हरभजन सिंह के आवास के समीप धरना दे रहे हैं और कह रहे हैं कि बिजली गुल होने से आगामी धान की फसल की बुआई में बाधा आ रही है. अपनी सरकार के समर्थन में आकर आप की राज्य इकाई ने संकट के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
29 में से 16 राज्य बिजली की कमी के कारण अंधेरे में
आम आदमी पार्टी ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कोयले का कुप्रबंधन है कि 29 में से 16 राज्य बिजली की कमी के कारण अंधेरे में हैं. केंद्र सरकार के बुरे इरादों के कारण पूरा देश संकट का सामना कर रहा है. राज्य के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ने बिजली की मांग में बढ़ोतरी के लिए भीषण गर्मी को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि इस साल पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक मांग है. पंजाब अकेला राज्य नहीं है जो बिजली संकट का सामना कर रहा है. वास्तव में यह पूरे देश में है. उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. हमारे मुख्यमंत्री भगवंत मान लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी.
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बिजली मंत्री हरभजन सिंह ETO ने दी सफाई
पंजाब में इस साल के गर्मी के सीजन की अब तक की सबसे अधिक 8500 मेगावाट की मांग शुक्रवार को दर्ज की गई, लेकिन इसके मुकाबले पावरकॉम के पास बिजली की उपलबधता केवल 4800 मेगावाट की रही. करीब 46 डिग्री टैंप्रेचर के बावजूद 12 घंटे तक कट लग रहे हैं. सड़क से खेत तक बिजली कटौती की मार पड़ रही है. शहरों में 4 से 5 तो गांवों में 10 से 12 घंटे के कट झेलने पड़ रहे हैं. इसे लेकर अब AAP सरकार के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ETO ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि पिछली चन्नी (कांग्रेस) सरकार इस सीजन के लिए कोई प्रबंध करके नहीं गई. पिछले साल के मुकाबले बिजली की मांग 40% बढ़ी है. ऐसे में 24 घंटे बिजली के लिए कोशिश की जा रही है. इधर पंजाब के उप मुख्य अभियंता संजीव प्रभाकर ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि राज्य में कोई कोयले की कमी नहीं है.
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