गंदगी और सीवर सिस्टम की समस्याओं से जूझ रही दिल्ली अब सुदृढ़ और आधुनिक सीवर नेटवर्क की दिशा में कदम बढ़ा रही है। दिल्ली जल बोर्ड (DJB) ने सीवर मास्टरप्लान 2043(Sewer Master Plan 2043) की रूपरेखा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह योजना अगले दो दशकों तक राजधानी की सीवर व्यवस्था को दुरुस्त करने का रोडमैप होगी। इस योजना के तहत, विशेषज्ञों और परामर्शदाता कंपनियों को नियुक्त करने के लिए टेंडर जारी किए गए हैं। ये कंपनियां पूरे शहर का सर्वे करेंगी, मौजूदा ढांचे का गैप एनालिसिस करेंगी, और 2031 मास्टरप्लान की समीक्षा करके सुधार के सुझाव देंगी। जल बोर्ड का उद्देश्य है कि इस मास्टरप्लान से सीवर नेटवर्क की दक्षता बढ़े, और भविष्य में यमुना और अन्य जल स्रोतों में अनट्रीटेड सीवेज का प्रवाह न्यूनतम किया जा सके।
दिल्ली के सब्जी मंडी इलाके में बड़ा हादसा, 4 मंजिला मकान ढहा, 14 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू, कई घायल
‘एक जोन, एक ऑपरेटर’मॉडल लाएगा तेजी
दिल्ली के विशाल सीवर नेटवर्क को दुरुस्त करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (DJB) ने इसे चार जोन में बांटकर ‘एक जोन-एक ऑपरेटर’ मॉडल अपनाने का फैसला किया है। प्रत्येक जोन की जिम्मेदारी एक निजी एजेंसी को दी जाएगी। पहले सीवर लाइनों की मरम्मत, शिफ्टिंग और अपग्रेडेशन का काम छोटे-छोटे ठेकों के जरिए टुकड़ों में हो रहा था। जल बोर्ड के अधिकारी के अनुसार, अलग-अलग ठेकेदारों के काम में देरी और जवाबदेही की कमी रहती थी।
बारापुला फेज-3 कॉरिडोर से दिल्ली को मिलेगा बड़ा तोहफ़ा, पेड़ों की कटाई को मिली मंजूरी
नया मॉडल के फायदे:
- काम होगा तेज़ और पारदर्शी
- जिम्मेदारियां स्पष्ट होंगी और जवाबदेही सुनिश्चित होगी
- सीवर प्रणाली की दक्षता बढ़ेगी
- यमुना में अनट्रीटेड सीवेज का प्रवाह कम होगा
जल बोर्ड का उद्देश्य है कि इस नई व्यवस्था से दिल्ली की सीवर प्रणाली अधिक सुदृढ़, व्यवस्थित और पर्यावरण के अनुकूल बने।
यमुना की सेहत सुधारने की बड़ी योजना
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) का सीवर मास्टरप्लान 2043 का सबसे बड़ा उद्देश्य है यमुना नदी को प्रदूषण से मुक्त करना। राजधानी में 10,720 किलोमीटर लंबी सीवर लाइनों और 38 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) के बावजूद, इस मानसून में बुरारी, रोहिणी और बेला रोड जैसे इलाकों में सीवर का बैकफ्लो देखा गया। नया मास्टरप्लान सीवर पंपिंग स्टेशनों की कमी को दूर करेगा। ड्रोन-आधारित टोपोग्राफिक मैपिंग और आधुनिक तकनीकों से पूरे नेटवर्क का सटीक सर्वे किया जाएगा। इस योजना से न केवल यमुना नदी की स्थिति सुधरेगी, बल्कि दिल्ली का सीवर नेटवर्क भी ज्यादा कुशल और पर्यावरण के अनुकूल बनेगा। दिल्ली जल बोर्ड (DJB) का 2031 का मास्टरप्लान था कि पूरे शहर के घर सीवर नेटवर्क से जुड़े हों और यमुना में अनट्रीटेड सीवेज का प्रवाह शून्य हो। लेकिन वर्तमान में केवल 83% आबादी ही सीवर नेटवर्क से जुड़ पाई है। अनधिकृत कॉलोनियों में प्रगति धीमी रही।
मानहानि केस में मेधा पाटकर को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल से किया इनकार
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “2031 के लक्ष्य पूरे नहीं हो सके। नया मास्टरप्लान 2043 इन कमियों को दूर करेगा और अगले दो दशकों में एक मजबूत और कुशल सीवर ढांचा तैयार करेगा।” इस योजना का उद्देश्य है कि पूरे शहर की सीवर प्रणाली व्यवस्थित, सुदृढ़ और पर्यावरण के अनुकूल बने, जिससे यमुना और अन्य जल स्रोतों में प्रदूषण कम हो।
सीवेज ट्रीटमेंट में कमी, 23% गंदा पानी यमुना में
दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 990 मिलियन गैलन गंदा पानी उत्पन्न होता है, जो शहर की जल आपूर्ति का 80% है। लेकिन 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) की कुल क्षमता केवल 667 मिलियन गैलन प्रतिदिन है और वास्तव में केवल 565 मिलियन गैलन का ही उपचार संभव है। इसका मतलब है कि लगभग 227 मिलियन गैलन (23%) अनट्रीटेड सीवेज सीधे नालों, जलाशयों और यमुना में बह रहा है। यमुना एक्शन प्लान के तहत, जल बोर्ड को जून 2027 तक सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता दोगुनी करने का लक्ष्य दिया गया है। इसके लिए नए ट्रीटमेंट प्लांट्स बनाए जाएंगे, मौजूदा प्लांट्स का विस्तार किया जाएगा, और सीवर नेटवर्क की दक्षता बढ़ाई जाएगी। इस प्रयास से यमुना नदी में अनट्रीटेड सीवेज का प्रवाह कम होगा और दिल्ली की जल गुणवत्ता बेहतर होगी।
जनता की मांग, एकीकृत ड्रेनेज प्रणाली
यूनाइटेड आरडब्ल्यूए जॉइंट एक्शन (URJA) के प्रमुख अतुल गोयल ने दिल्ली जल बोर्ड के ‘एक जोन-एक ऑपरेटर’ मॉडल और मास्टरप्लान 2043 का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि सीवर और स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम को एक ही एजेंसी के तहत लाया जाना चाहिए। दिल्ली के कई इलाकों में दोनों सिस्टम आपस में जुड़े हुए हैं, जिससे बारिश का पानी बर्बाद होता है और सीवर का बैकफ्लो आम हो गया है। उनका मानना है कि यदि यह सुधार लागू किया गया, तो मास्टरप्लान की प्रभावशीलता और दक्षता और बढ़ जाएगी।
दिल्ली के यमुना विहार में फूड आउटलेट के AC में धमाका, पांच घायल
क्या है एक्सपर्ट्स की चिंता?
दिल्ली की सीवर व्यवस्था में कई खामियां अभी भी मौजूद हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं। सीवेज उत्पन्न होने की गणना में असमानताएं पाई गई हैं। नया सीवर मास्टरप्लान 2043 इन कमियों को दूर करने का प्रयास करेगा। लेकिन इसके लिए योजना को कड़ाई से लागू करना होगा। एक समयबद्ध कार्ययोजना बनाकर काम करना आवश्यक है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन उपायों के बिना मास्टरप्लान का प्रभाव सीमित रह सकता है और यमुना में अनट्रीटेड सीवेज का प्रवाह कम करने के लक्ष्य को हासिल करना कठिन होगा।
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक