रायपुर। अश्लील सीडी कांड में कांग्रेस और पत्रकार विनोद वर्मा के रिश्तेदारों ने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने पुलिस अधीक्षक से जांच में 17 बिन्दुओं को भी शामिल करने की मांग की है. वर्मा के रिश्तेदार टुकेन्द्र वर्मा और कांग्रेस के प्रदेश सचिव अजय साहू ने पत्र लिखा है.
आपको बता दें कि 27 अक्टूबर की रात 3 बजे पुलिस ने विनोद वर्मा को उनके घर से गिरफ्तार किया था. वर्मा की गिरफ्तारी पंडरी थाना में भाजपा आईटी सेल के प्रकाश बजाज की एक एफआईआर के आधार पर की गई थी. हालांकि एफआईआर में विनोद वर्मा का कहीं भी नाम दर्ज नहीं था. बजाज ने अपनी लिखित शिकायत में कहा था कि फोन पर कुछ लोग लगातार काल कर धमकी दे रहे है. फोन करने वाले कहते है कि- तुम्हारे आका की अश्लील सीडी मेरे पास है. बजाज की शिकायत में कहा गया है कि धमकी देकर मोटी रकम की डिमांड की जा रही है. जिसके बाद पुलिस ने महज कुछ ही घंटे में गाजियाबाद स्थित विनोद वर्मा के घर देर रात दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस का दावा था कि वर्मा के घर से 500 सीडी और 1 पेन ड्राइव जब्त की गई है.
इन बिन्दुओं को जांच में शामिल करने दिया आवेदन
- प्रकरण की एफ.आई.आर. में बार-बार किये गये फोन का उल्लेख तो है लेकिन वह नम्बर कौन सा है, काॅल डिटेल रिकार्ड और वह नम्बर आज तक बार-बार मांग करने पर भी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
- दरअसल इस मामले में झूठी शिकायत की गई है और गलत और झूठी शिकायत करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 182 के तहत कार्यवाही की मांग करते हैं।
- इस प्रकरण में एफ.आई.आर. से असंगत जांच एवं कार्यवाही करके राजनैतिक प्रतिशोध की भावना से कार्यवाही की जा रही है।
- विनोद वर्मा के घर से सी.डी.जप्त होने की बात सरासर गलत है। गजियाबाद दिल्ली के घर की फूटेज से यह बात स्पष्ट हो गई है कि पुलिस सी.डी. का थैला लेकर श्री विनोद वर्मा के गजियाबाद के घर में गयी थी।
- भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 100 और 102 के अंतर्गत इस प्रकरण की जप्ती की कार्यवाही दूषित है, सीधे-सीधे विधी विहित प्रावधानों और मान्य जांच प्रक्रिया का उल्लंघन है।
- विनोद वर्मा को 26, 27 अक्टूबर 2017 की दरम्यानी रात रायपुर छत्तीसगढ़ की पुलिस एवं गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की पुलिस आवेदक के इन्द्रापुरम के महागुल मेंशान-1, वैभव खण्ड के फ्लैट नम्बर-416 में बलात प्रवेश कर आवेदक से उसका मोबाईल एवं लैपटाप अपने आधिपत्य में लेकर उसे इस प्रकरण में गिरफ्तार करना बता रही है।
- विनोद वर्मा को अप.क्र. 340/17, धारा-384 506 भा.द.वि. के तहत किसी प्रकाश बजाज की शिकायत पर गिरफ्तार करना बताया गया है जबकि श्री विनोद वर्मा किसी प्रकाश बजाज, रायपुर को जानते ही, नहीं है। श्री विनोद वर्मा ने ना तो, कभी प्रकाश बजाज को फोन किया है और ना ही, उससे कभी बात की है। प्रथम सूचना पत्र 340/2017, 15 बजकर 45 मिनट, थाना-पंडरी (मोवा), रायपुर की पुलिस ने पंजीबद्ध किया तथा बिना कोई प्रांरभिक विवेचना किये क्राईम ब्रांच, रायपुर की पुलिस 2 घंटे के भीतर दिल्ली रवाना हो गये। श्री विनोद वर्मा के घर पहुंचकर उसे पूर्व नियोजित षडयंत्र के तहत गिरफ्तार कराया गया है।
- विनोद वर्मा को इस प्रकरण में झूठा फंसाया है।
- विनोद वर्मा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रशिक्षण के कार्य में भाग ले रहे है तथा अगले वर्ष छत्तीसगढ़ में विधानसभा का चुनाव होना है तथा मुख्यमंत्री के विरूद्ध श्री भूपेश बघेल ने माननीय उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़ में एक रीट याचिका दायर की थी, जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह एवं उनके रिश्तेदारों के विरूद्ध याचिका में गिरफ्तारी एवं सी.बी.आई. जांच तथा मुख्यमंत्री को पद से हटाये जाने की मांग की थी। यह याचिका माननीय सर्वोच्च न्यायालय को अग्रसर है।
- सरकार को शंका हो सकती है कि, साक्ष्य मुख्यमंत्री एवं उनके कार्यो के विरूद्ध एकत्रित कर माननीय उच्च न्यायालय या माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी श्री भूपेश बघेल द्वारा प्रस्तुत किये जायेेंगे या किये हैं, वह साक्ष्य श्री विनोद वर्मा ने ही एकत्रित किया है और वह साक्ष्य श्री विनोद वर्मा के ही आधिपत्य में है।
- विनोद वर्मा के पास मुख्यमंत्री के विरूद्ध संभावित साक्ष्य होने की संभावना से योजनाबद्ध तरीके से झूठे तथ्य का निर्माण करते हुए कि, प्रकाश बजाज को अज्ञात व्यक्ति के द्वारा धमकी फोन के माध्यम से दी जा रही है तथा फोन करने वाले ने अपना नाम न बताते हुए सी.डी. का निर्माण जिस दुकान में हो रहा है, उसका नाम बताते हुए शिकायत थाना-पंडरी में दर्ज की गई और राजेश मूणत की विडियो क्लिप, जो लगभग 1वर्ष पूर्व से सोशल मीडिया और आम लोगों के पास उपलब्ध थी उसकी सी.डी. का निर्माण कर आवेदक को इस प्रकरण में झूठा फसाया गया। यह उल्लेखनीय है कि, प्रकाश बजाज की रिपोर्ट अनुसार भी किसी अज्ञात व्यक्ति ने ही किसी सी.डी. शाॅप में अज्ञात व्यक्ति की सेक्स सी.डी. की काॅपी होने का कथन किया।
- विनोद वर्मा के विरूद्ध जो झूठे तथ्य के आधार पर झूठे साक्ष्य का निर्माण कर षडयंत्रपूर्वक फसाया है।
- विनोद वर्मा ने पुलिस को सम्पूर्ण तथ्य बताते हुए अपनी शिकायत दर्ज करने हेतु निवेदन किया था, परंतु पुलिस ने आवेदक की शिकायत दर्ज नहीं किये। उपरोक्त सम्पूर्ण झूठी कार्यवाही में आवेदक को दबावपूर्वक प्राथमिकी दर्ज कराने से रोका गया है तथा उसे बली का बकरा बनाते हुये रायपुर पुलिस द्वारा राजनैतिक षडयंत्र के तहत झूठी कार्यवाही की गई है।
- यह आशंका है कि, जिस साक्ष्य से आवेदक निर्दोष सिद्ध हो सकता है, उसे नष्ट किया जा सकता है।
- विनोद वर्मा के विरूद्ध ना तो कोई नामजद रिपोर्ट है और ना ही, ऐसा कोई साक्ष्य है कि, शिकायतकर्ता को फोन किया है। पुलिस से यह आग्रह भी किया था कि, प्रार्थी से किसी-किसी ने फोन से बात की है, इसकी साक्ष्य सुरक्षित किया जाए तथा जो पुलिस आवेदक को गिरफ्तार करने गई थी, उनसे किन-किन लोगों ने फोन पर बात की तथा उन सभी संबंधित व्यक्ति विशेष मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह, मंत्री राजेश मूणत एवं उनके साथ रहने वाले व्यक्तियों का फोन काॅल डिटेल सुरक्षित रखा जाए तथा सुरक्षित रखा जाना न्याय हेतु आवश्यक है।
- विनोद वर्मा के विरूद्ध षडयंत्र की एवं व्यूहरचना कर गलत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। यह जांच छत्तीसगढ़ पुलिस स्वतंत्र रूप से नहीं कर पायेगी, इसलिए यह विनती है कि, प्रकरण पंजीबद्ध किया जाये तथा वह विवेचना किसी स्वतंत्र एजेंसी या न्यायाधीश की देख-रेख में करायी जाए।
- विनोद वर्मा के आधिपत्य से कोई सी.डी. जप्त नहीं हुई है, जो 500 सी.डी. जप्त होना बताया जा रहा है वह पुलिस ने बनवाकर साक्ष्य निर्मित करने के उद्देश्य से आवेदक से जप्त होना बता रही है। यह कि, आवेदक से कोई सी.डी. जप्त नहीं की गई है, उसे छत्तीसगढ़ पुलिस ने झूठे रूप से जप्त होना बताया है, जो स्वयं ही, जांच का विषय है। आवेदक से सिर्फ उसका लैपटाॅप, मोबाईल एवं पेनड्राईव जप्त किया है, जिसमें अब पुलिस छेड़छाड़ कर सकती है, उसे तत्काल माननीय न्यायालय के समक्ष सीलबंद कराकर उच्च जांच के लिए भेजा जावें।