बेंगलुरु। कर्नाटक सेक्स सीडी मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत, डीसीपी सेंट्रल एम.एन. अनुचेत व कब्बन पार्क थाना निरीक्षक मारुति के खिलाफ जांच का आदेश दिया था। ये लोग भाजपा के एक पूर्व मंत्री के खिलाफ कथित रूप से सेक्स सीडी मामले में केस दर्ज करने में विफल रहे थे।

न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को यह आदेश दिया। पीठ ने पाया था कि शिकायतकर्ता दिनेश कल्लाहल्ली ने अपनी शिकायत के बारे में पुलिस को पर्याप्त जानकारी नहीं दी थी और उसने इसे 7 मार्च, 2021 को वापस ले लिया था। पुलिस आयुक्त कमल पंत ने 11 मार्च को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। एसआईटी ने इसकी जांच पूरी कर ली है। जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी। पुलिस ने पूर्व मंत्री रमेश जरकीहोली के खिलाफ 26 मार्च को पीड़ित महिला की शिकायत की जांच भी पूरी कर ली है।

पीड़िता ने एसआईटी के गठन पर भी सवाल उठाया है। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एसआईटी को निचली अदालत को रिपोर्ट जमा नहीं करने का निर्देश दिया है, जो इस मामले को देख रही है। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच का आदेश देते समय इन सभी कारकों पर विचार नहीं किया और कहा कि जांच आदेश सही नहीं था।

8वीं एसीएमएम (अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट) कोर्ट ने आदेश दिया था और पुलिस विभाग को 1 फरवरी, 2022 तक रिपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया था। अदालत ने आईपीसी की धारा 166 ए के तहत अपराधों की जांच के लिए जांच का आदेश पारित किया था।

जन अधिकार संघर्ष परिषद के सह-अध्यक्ष आदर्श आर. अय्यर ने कथित सेक्स-सीडी घोटाले के संबंध में पूर्व भाजपा मंत्री रमेश जरकीहोली के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करने के लिए कमल पंत, अनुचेत और मारुति के खिलाफ एक पीसीआर (निजी शिकायत) दर्ज की थी।

उनके खिलाफ 17 मार्च को दर्ज की गई शिकायत में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री रमेश जारकीहोली जैसे किसी अधिकारी द्वारा कथित तौर पर यौन संबंध बनाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रहने पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। शिकायत 2 मार्च 2021 को आरटीआई कार्यकर्ता दिनेश कल्लाहल्ली ने दी थी। शिकायत आईपीसी (निर्भया एक्ट) की धारा 166-ए के तहत दर्ज की गई थी।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर अनुशासित तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहने, शिकायतकर्ता दिनेश कल्लाहल्ली के साथ-साथ कथित पीड़िता के खिलाफ पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप है।

शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि अधिकारियों ने शक्तिशाली शासक राजनीतिक वर्ग के दबाव में, कानूनों और भारत के सर्वोच्च न्यायालय की गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाते हुए घोर अक्षमता का प्रदर्शन किया। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया था कि वे कर्नाटक राज्य पुलिस बल के स्वतंत्र कामकाज को बदनाम कर रहे हैं।