नई दिल्ली. यौन शोषण मामले में बेटी का आरोप सुनकर सुप्रीम कोर्ट के जज हैरान रह गए और पूर्व जज के खिलाफ दायर प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया. वहीं याचिकाकर्ता पूर्व जज का कहना है कि उसकी पत्नी और वह वैवाहिक विवाद के कारण अलग रहते हैं. अब उसको झूठे आरोप लगाकर फंसाया गया है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने पूर्व जज से पूछा, बेटी का आरोप चौंकाने वाला है. दरअसल पूर्व जज ने 15 अप्रैल 2025 के बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे बेंच ने खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने अधीनस्थ कोर्ट के तय आरोपों को बरकरार रखा था. याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसकी पत्नी लंबे समय से वैवाहिक विवाद के कारण अलग रह रही है और अब उसको फंसाने के लिए झूठे आरोप लगा दिए. हालांकि कोर्ट ने पूर्व जज की अपील मानने से इनकार कर दिया.

5 accused of attacking Supreme Court Justice found guilty

अपीलकर्ता ने अपनी अर्जी में यह भी दलील दी थी कि पत्नी ने उसके पिता को भी परेशान किया, जिसकी वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली. जस्टिस मनमोहन ने इस पर कहा, हम इस सब में नहीं पड़ना चाहते. आत्महत्या तो वह अपने बेटे के इन कार्यों के कारण भी कर सकते हैं.

पूर्व न्यायाधीश के वकील ने दलील दी, मेरे मुवक्तिल का पूरा जीवन उनकी वैवाहिक समस्याओं के कारण बर्बाद हो गया. पूर्व न्यायाधीश के पिता ने आत्महत्या कर ली थी. शिकायत बहुत बाद में की गई थी और पहले की कानूनी कार्यवाही के दौरान इसका कभी उल्लेख नहीं किया गया. बेंच ने वकील की इन दलीलों के बजाय पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत गंभीर आरोपों पर ज्यादा गौर किया.

यह मामला मई 2014 और 2018 के बीच हुई दुर्व्यवहार की कथित घटनाओं के बाद महाराष्ट्र के भंडारा में 21 जनवरी, 2019 को दर्ज एक प्राथमिकी से सामने आया था. इस मामले में आरोप-पत्र दायर कर दिया गया है, लेकिन मामले में औपचारिक आरोप तय होना बाकी है. पूर्व न्यायाधीश पर तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला करने के अलावा पॉक्सो अधिनियम की धारा 7, 8, 9 (L), 9 (N) और 10 के तहत आरोप लगाए गए हैं.