कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी (Imran Pratapgarhi) के ऊपर भड़काऊ वीडियो मामले में गुजरात (Gujrat) में दर्ज केस रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस (Congress) सांसद को राहत का संकेत देते हुए कहा कि जिस कविता के लिए यह केस दर्ज हुआ है. उस कविता का सही अर्थ समझने की कोशिश होनी चाहिए. इमरान प्रतापगढ़ी की याचिका में इस कविता को विख्यात शायर फैज का बताया गया था. इस पर गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने टिप्पणी करते हुए कहा ‘इस तरह की ‘सड़कछाप’ पंक्तियों को इतने बड़े शायर से नहीं जोड़ना चाहिए.’
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के ऊपर गुजरात में दर्ज केस रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस कविता के लिए यह केस दर्ज हुआ है, उसका सही अर्थ समझने का प्रयास होना चाहिए. यह कविता किसी धर्म के विरोध में नहीं कही गई है. इसका मकसद अहिंसा की बात करना था.
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गुजरात के जामनगर में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शामिल होने के बाद इमरान प्रतापगढ़ी ने 2 जनवरी को सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था. वीडियो में उन्होंने बैकग्राउंड ऑडियो के तौर पर एक कविता लगाई थी. ‘ऐ खून के प्यासे लोगों सुनो..’, इस किवता के शब्दो को सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला बताते हुए जामनगर के रहने वाले किशनभाई नंदा ने कांग्रेस सांसद पर एफआईआर दर्ज करवाई.
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एफआईआर को रद्द करवाने के लिए इमरान ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कांग्रेस सांसद ने दलील दी कि उनका मकसद शांति और प्रेम को बढ़ावा देना था, हालांकि इसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इमरान प्रतापगढ़ी की अपील को सुनते हुए 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने जामनगर में दर्ज एफआईआर में किसी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार, 3 मार्च को मामला एक बार फिर जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली 2 जजों की बेंच के सामने लगा. इस पर जस्टिस ओका ने कहा, ‘संविधान लागू हुए 7 दशक से अधिक समय हो चुका है. उन्होंने कहा पुलिस को अभिव्यक्ति के मामलों में संवेदनशीलता बरतनी चाहिए.’
सरकार के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘शब्दों का अर्थ लोग अलग तरीके से भी लगा सकते हैं. यह एफआईआर का कारण है.’ कांग्रेस सांसद की याचिका में इस कविता को विख्यात शायर फैज का बताया गया था. इस पर टिप्पणी करते हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा, ‘इस तरह की ‘सड़कछाप’ पंक्तियों को इतने बड़े शायर से नहीं जोड़ना चाहिए.’
कांग्रेस सांसद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह पोस्ट याचिकाकर्ता की सोशल मीडिया टीम ने बिना उनकी जानकारी के कर दिया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं था. जिसके सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने की जरूरत नही थी. हाई कोर्ट के स्तर पर ही इसका निपटारा हो जाना चाहिए था. प्रतापगढ़ी के वकील कपिल सिब्बल ने जजों से अनुरोध किया कि वह अपने फैसले में पुलिस और हाई कोर्ट के रवैये पर भी कुछ कहें.
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