अजयारविंद नामदेव शहडोल। क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चे स्कूल क्यों जाते हैं, बच्चे सुरक्षित भविष्य के लिए पढ़ने जाते है, लेकिन मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक सरकारी स्कूल में बच्चे पढ़ाई नहीं, बल्कि जान बचाने स्कूल जाते है। जी हां ये वो स्कूल है जहां छत टपकती है, क्लासरूम में कुत्ते घूमते हैं और रसोई किसी काल कोठरी से कम नहीं और शौच के लिए बच्चों और शिक्षकों को बाहर जाना पड़ता है। एक क्लास रूम में 62 बच्चे 3 शिक्षक एक साथ पढ़ाई कराते है। ये बदहाल स्कूल जिले के जयसिंहनगर ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक विद्यालय कौआ सरई का है।

एक कमरा, 62 छात्र और तीन शिक्षक

शहडोल के जयसिंहनगर ब्लॉक स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय कौआ सरई की हालत देखकर कोई भी दहल उठेगा। यह स्कूल शिक्षा का मंदिर कम और बदहाली की मिसाल ज्यादा नजर आता है। जहां पढ़ने वाले मासूम छात्र न सिर्फ टपकती छतों के नीचे बल्कि आवारा जानवरों के बीच जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। विद्यालय में कुल 62 छात्र हैं, जिन्हें महज एक ही सुरक्षित कमरे में तीन शिक्षक किसी तरह पढ़ा रहे हैं। स्कूल भवन में कुल तीन कमरे हैं, लेकिन एक पूरी तरह जर्जर हो चुका है बरसात में छत टपकती है, जिससे वह इस्तेमाल लायक नहीं बचा, दूसरा कमरा स्टाफ ने स्टोर रूम बना दिया है, जहां बेकार किताबें, फाइलें और कबाड़ भरा हुआ है।

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शौचालय

क्लास में घूम रहे कुत्ते, रसोई खराब, शौचालय जर्जर

तीसरे और इकलौते बचे कमरे में छत से टपकते पानी के बीच बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि इसी कमरे में आवारा कुत्तों का डेरा है, जो अक्सर कक्षा के अंदर घूमते रहते हैं। छात्र भय के माहौल में पढ़ने को मजबूर हैं। हर पल किसी हादसे का खतरा मंडराता है। इस विद्यालय की रसोई भी कम शर्मनाक नहीं कोयले की कालिख से काली पड़ी दीवारों वाली रसोई किसी काल कोठरी से कम नहीं दिखती। गंदगी और अव्यवस्था के बीच यहां बच्चों का मध्यान्ह भोजन तैयार होता है। शौचालय की स्थिति तो और भी बदतर है। स्कूल परिसर में बना टॉयलेट टूट चुका है, अंदर काई जमी हुई है। गंदगी का आलम यह कि छात्रों और शिक्षकों को खुले में शौच जाने पर मजबूर होना पड़ता है। स्कूल में कार्यरत शिक्षकों ने कई बार इस गंभीर अव्यवस्था की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला।

मिला आश्वासन…

स्कूल की बदहाली की जानकारी जब मीडिया के माध्यम से सामने आई, तो स्थानीय विधायक शरद जुगलाल कोल ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए शिक्षा स्तर सुधारने का आश्वासन दिया। वहीं आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी एसी साहब ने भी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए जल्द सुधार की बात कही है। शिक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि छात्रों की सुरक्षा में कोई कोताही न बरती जाए।

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उठे कई सवाल

सरकार भले ही शिक्षा को लेकर लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। जयसिंहनगर के कौआ सरई स्कूल की तस्वीर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती है। जहां शिक्षा की नींव मजबूत होनी चाहिए, वहां बच्चे हर दिन डर और खतरे के साए में पढ़ाई कर रहे हैं। यह सिर्फ एक स्कूल की कहानी नहीं, बल्कि उस पूरे सिस्टम पर सवाल है जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है।

रसोई

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