अजयारविंद नामदेव, शहडोल। प्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा होने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी तरफ इन दावों की पोल खोलती एक तस्वीर शहडोल संभाग के एकमात्र कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल से सामने आई है। जहां मरीजों के साथ साथ कुत्ते भी इलाज कराने पहुंच रहे हैं।

अस्पताल की लचर व्यवस्था का आलम यह है कि यहां पर गंदगी का अंबार लगा है। मरीज जमीन पर लेटकर इलाज कराने को विवश हैं। वहीं अस्पताल के सिटी स्कैन कक्ष में आवारा कुत्ते डेरा जमाए हुए हैं। कुत्तों को जिला अस्पताल की लत ऐसी है कि वो मरीजों के साथ ही बैठते और लेटते हैं। इन आवारा कुत्तों से मरीजों को संक्रमण के साथ-साथ उनके काटने से जान का खतरा बना हुआ है। 

बदहाली की दास्तां यहीं खत्म नहीं होती। यहां एक्स-रे कराने के बाद मरीजों को फिल्म नहीं दी जाती, बल्कि मोबाइल में रिपोर्ट दिखाई जाती है। सोनोग्राफी के लिए लंबी कतार होती है। जिला अस्पताल में आवारा कुत्ते भी सीटी स्कैन कराने आते हैं। बता दें कि यहां आस-पास के जिलों के अलावा छत्तीसगढ़ से भी मरीज इलाज कराने आते हैं।

ऐसा नहीं है कि यहां स्वास्थ्य अधिकारी, कर्मचारी या सुरक्षा कर्मी मौजूद नहीं होते। सब वहीं होते हैं, इस अव्यवस्था को देखते हैं, लेकिन सब इसके आदी हो चुके हैं। 300 बिस्तर वाले इस अस्पताल में मरीजों की संख्या ज्यादा होती है, उनके लिए अस्पताल प्रबंधन संसाधन जुटाने की बजाय उन्हें जमीन पर ही लिटाकर स्वास्थ्य लाभ देने में भरोसा करता है।

जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती मरीजों को समय पर एंबुलेंस नहीं मिलते। अस्पताल प्रबंधन एंबुलेंस नहीं होने की बात करके मरीजों को लौटा देता है। जबकि परिसर में ही एक दर्जन से ज्यादा एंबुलेंस खड़ी हैं। इसके साथ ही जैव अवशिष्ट जगह-जगह फैला है। मजबूरन यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को मुंह में कपड़ा बांधकर आना पड़ता है।

बदहाल जिला अस्पताल की समस्याओं को दूर कर उसे स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सुलभ करने के लिए शहडोल कलेक्टर तरुण भटनागर ने सप्ताह के 7 दिन 7 अधिकारियों की ड्यूटी लगाई थी। इनमें एडीएम, जिला पंचायत सीईओ, एसडीएम, ज्वाइंट कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर समेत अन्य अधिकारी शामिल थे।

कलेक्टर का यह आदेश कुछ दिनों तक प्रभावी रहा इसके बाद यह बेअसर हो गया, अस्पताल में हावी अव्यवस्था को देख खुद प्रशासनिक अधिकारी जिला अस्पताल से हाय तौबा कर चुके हैं।

वहीं इस पूरे मामले में प्रभारी सीएस मुकुंद चतुर्वेदी का कहना है कि अस्पताल में अभी और काम की गुंजाइश है। रही बात गंदगी और कुत्तों के अस्पताल में आने की तो साफ सफाई के लिए कर्मचारी हैं, सिक्योरिटी गार्ड भी हैं, उन्हें देखना चाहिए। मामला संज्ञान में आया है। इसे दिखवाते हैं।

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