अजयारविंद नामदेव, शहडोल। रीवा-शहडोल मुख्य मार्ग के किनारे बसे ग्राम पंचायत सेमरा में एक ऐसी घटना घटी जिसने इंसानियत और विभागीय जिम्मेदारी दोनों पर सवाल खड़े कर दिए। सड़क किनारे एक नीलगाय का शावक कुत्तों के झुंड से बचने की कोशिश में गंभीर रूप से घायल हो गया और कई घंटों तक दर्द से तड़पता रहा। ग्रामीणों ने अपनी क्षमता के अनुसार उसे बचाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन वन विभाग की लापरवाही ने उसकी जान ले ली।

स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, जैसे ही उन्हें घटना की जानकारी मिली उन्होंने तत्काल बीट गार्ड, रेंजर और डिप्टी रेंजर को फोन किया। लेकिन अफसोस कई बार कॉल करने के बावजूद कोई भी अधिकारी या कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा। ग्रामीणों ने घायल शावक को पानी पिलाया, उसके जख्मों पर मिट्टी लगाई और कपड़ा बांधने की भी कोशिश की। लेकिन मदद न मिलने के कारण उसने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।

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ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। क्षेत्र में इससे पहले भी कई बार घायल जंगली जानवर सड़क किनारे मरते देखे गए हैं, लेकिन वन विभाग की टीम या तो देर से पहुंचती है या बिल्कुल नहीं। लोगों का आरोप है कि विभाग की यह उदासीनता और असंवेदनशीलता वन्यजीव संरक्षण की भावना के विपरीत है। नीलगाय के बच्चे की मौत के बाद स्थानीय लोगों में भारी रोष है। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई निर्दोष प्राणी प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार न बने।

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