नई दिल्ली। दहशतगर्दी का रास्ता छोड़कर सेना का हिस्सा बने लांस नायक नजीर वानी को अशोक चक्र से सम्मानित किया जाएगा. वानी को यह सम्मान मरणोपरांत दिया जाएगा. देश में यह पहला मामला है जब आतंक की राह छोड़ने वाले किसी जवान को इतने बड़े सम्मान से नवाजा जा रहा है.
दरअसल वानी को यह सम्मान उनके शौर्य और शहादत की वजह से दिया जा रहा है. पिछले साल नवंबर में जम्मू एंड कश्मीर के शोपियां में सेना को एक घर में आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी. 6 आतंकियों ने एक घर में शरण ली हुई थी. मौके पर पहुंचे सेना के जवानों ने घर को चारों तरफ से घेर लिया. दहशतगर्दों और सेना के बीच हुई फायरिंग में वानी आतंकियों की गोली से घायल हो गए वहीं उन्होंने एक आतंकी को मौत के घाट उतार दिया. आतंकियों की गोली से बुरी तरह जख्मी वानी ने आखरी सांस तक मोर्चे पर डंटे रहे और दहशतगर्दों को भागने नहीं दिया. इस दौरान वानी शहीद हो गए. नजीर वानी की इस बहादुरी के लिए उन्हें अशोक चक्र से नवाजने का फैसला लिया गया है. वानी को उनकी बहादुरी के लिए 2 बार सेना मेडल भी मिल चुका है.
आपको बता दें नजीर वानी कुलगाम के चेकी अश्मूजी गांव के रहने वाले थे. उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं. कभी आतंक की राह में चलने वाले नजीर वानी ने साल 2004 में सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था. आत्मसमर्पण के कुछ वक्त बाद ही साल 2004 में ही उसने टेरिटोरियल आर्मी और फिर भारतीय सेना ज्वॉइन कर ली थी. 2007 में पहला और 2017 में उसे दूसरा सेना मेडल मिला. कभी सेना के खिलाफ लड़ने वाले भारतीय सेना के इस बहादुर जवान ने आतंकवादियों से लड़ते हुए नवंबर 2018 में अपनी जान वतन के नाम पर कुर्बान कर दी थी.