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धनराज गवली,शाजापुर। मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर सरकार लाडलियों का गुणगान गा रही है. लाडलियों को पढ़ाने और बढ़ाने की बात कहती है, लेकिन जिले के एक निजी स्कूल के संचालक की मनमानी से एक लाडली का भविष्य खराब हो रहा है. बालिका के पिता ने कई जगह आवेदन देकर अपनी व्यथा सुनाई, लेकिन कहीं कोई कार्रवाई नहीं हुई.
दरअसल मामला जिले के ग्राम दुपाड़ा का है, जहां बीएसपी नाम से निजी स्कूल संचालित है. जिसमें शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आकांक्षा चावरे को प्रवेश दिया गया था. आकांक्षा के पिता ने एक शिकायती आवेदन भी दिया है. जिसमें उसने बताया कि जब पंचायत चुनाव हुए तो स्कूल संचालक रवि पाटीदार की भाभी सपना सचिन पाटीदार चुनाव में खड़ी हुई थी, जो चुनाव जीत भी गई थी.
जिस वार्ड से पिता, वहां नहीं मिला वोट
लेकिन उनका आरोप है कि जिस वार्ड में आकांक्षा के पिता रहते हैं, उस वार्ड से उन्हें कोई वोट नहीं मिला. इसके बाद जब आकांक्षा स्कूल गई तो स्कूल संचालक रवि पाटीदार ने उसे स्कूल नहीं आने दिया. जब परिजनों ने उनसे इसका कारण पूछा तो वो बोले कि तुम लोगों ने हमारा साथ नहीं दिया और वोट भी नहीं दिया. अब तुम्हारी लड़की को स्कूल में नहीं पढ़ाऊंगा. उसकी टीसी भी ले जाओ. जबकि उक्त बालिका का वहां आरटीई के तहत प्रवेश हुआ था.
चुनावी रंजिश है स्कूल से निकालने की वजह
स्कूल संचालक रवि पाटीदार द्वारा चुनावी रंजिश के कारण बिना कारण आकांक्षा को स्कूल से निकाला जा रहा है. बालिका के पिता रवि चावरे ने इस मामले को लेकर जनसुनवाई, जिला शिक्षा अधिकारी और सीएम हेल्प लाईन में भी शिकायत की, लेकिन कहीं से भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. रवि चावरे ने कलेक्टर दिनेश जैन से आवेदन के माध्यम से मांग की है कि स्कूल संचालक को समझाईश दी जाए, ताकि उसकी पुत्री का भविष्य खराब न हो.
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चुनाव बाद से ही नहीं हुई पढ़ाई
जुलाई माह में पंचायत चुनाव हुए थे. उसके बाद से ही बालिका की पढ़ाई बाधित हो रही है. बालिका के पिता ने बताया कि उक्त स्कूल संचालक द्वारा उनकी बेटी की टीसी भी नहीं दी जा रही है, ताकि उसे दूसरे स्कूल में प्रवेश दिलाया जा सके. टीसी के मामले में उनका कहना है कि वे यहां आकर हस्ताक्षर कर दें कि वे उनकी मर्जी से अपनी बालिका को स्कूल से निकलवा रहे हैं.
भाजपा नेता का है स्कूल
दुपाड़ा में निजी स्कूल भाजपा नेता का है. इसलिए अभी तक कोई कर्रवाई नहीं हुई. वही छात्रा के परिजन का कहना है कि हम दलित है. इसलिए कोई नहीं सुन रहा है.
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