Shani Dev: शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है. इस दिन शनि देव की विधि-विधान से पूजा करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. ऐसे में शनि देव की पूजा किस समय फलदायी माना जाता है. शनिदेव की पूजा करने का सही समय क्या है?
शनि देव पश्चिम दिशा में विराजित है तो वहीं सूर्य देव पूरब दिशा में विराजित हैं. दोनों एक दूसरे के अपोजिट हैं. सूर्य देव की किरणें सूर्योदय के समय पूरब से निकलती है तो शनिदेव पश्चिम में विराजमान होने के कारण सूर्य देव की किरणें इनकी शनिदेव की पीठ पर पड़ती है. ऐसे में शनि देव कोई भी पूजा स्वीकार नहीं करते हैं. इस समय वो दृष्टि डालनी बंद कर देते है. जैसे ही सूर्य देव संध्या में सूर्यास्त में पश्चिम दिशा में जाते है शनि देव प्रकट हो जाते हैं. ऐसे में शनि देव की पूजा सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद फलीभूत माना जाता है, और भक्तों पर प्रसन्न होते हैं. सूर्यास्त के बाद शनिदेव का पूजा का विधान है.
शनि देव की आंखों में न देखें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव की आंखों में नहीं देखना चाहिए. शनि देव की पूजा करते समय हमेशा अपनी नजरें नीचे रखें. शनि देव से नजरें मिलाने से आप पर शनि देव की बुरी नजर पड़ सकती है.
सरसों के तेल का दीपक शनिवार को शाम में जलाएं
सर्वप्रथम सुबह स्नान कर निवृत्त हो जाएं. इस दिन हो सके तो स्वच्छ काले रंग का वस्त्र धारण करें. पूरे दिन उपवास करें और शाम को शनिदेव मंदिर जाकर पूजा करें. सरसों के तेल का दीपक शनिवार को शाम के वक्त बरगद और पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं, फिर दूध और धूप चढ़ाएं.
शनि देव पूजा के मंत्र
ओम शनैश्चराय विदमहे सूर्यापुत्राय धीमहि।। तन्नो मंद: प्रचोदयात।।
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