इस वर्ष शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) एक विशेष संयोग के साथ आ रहा है. 24 मई शनिवार को पड़ने वाला यह व्रत न केवल भगवान शिव की कृपा दिलाने वाला है, बल्कि शनि देव के अनुकूल प्रभाव के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है, और जब यह व्रत शनिवार को हो, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है. यह व्रत उन जातकों के लिए विशेष लाभकारी होता है, जो शनि की दशा, साढ़ेसाती या ढैय्या से परेशान हैं. तो ॐ नमः शिवाय और शनि बीज मंत्र’ का जाप कर सकते हैं.

प्रदोष पूजा मुहूर्त
शाम 07:20 बजे से रात 09:13 बजे तक, अवधि: 1 घंटा 54 मिनट. त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगा 24 मई को शाम 07:20 बजे. वहीं त्रयोदशी का समाप्त 25 मई को दोपहर 03:51 बजे होगा. इस व्रत में भक्त भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं, बेलपत्र, धतूरा, गंगाजल आदि से पूजन कर ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘शनि बीज मंत्र’ का जाप करते हैं.
उपवास रखकर शाम के समय पूजा करने से पापों का नाश होता है और जीवन में शांति व समृद्धि आती है. शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) का यह शुभ योग आपके जीवन की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मकता से भर सकता है. इस पावन दिन का पूरा लाभ उठाएं और शिव-शनि की कृपा प्राप्त करें.
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