रायपुर. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आने वाले शनिवार को शनि प्रदोष व्रत कहते हैं. शनि प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. इस बार शनि प्रदोष व्रत 15 जनवरी 2022, शनिवार को है. ये प्रदोष व्रत विशेष खास है क्योंकि मकर संक्रांति का पर्व भी मनाया जायेगा.
पुराणों के अनुसार शनि प्रदोष व्रत करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी होती है. यह व्रत करने के शनि दोष भी दूर होते हैं. आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व, मुहूर्त और पूजा की विधि.
- शनि प्रदोष व्रत बिना जल ग्रहण किए किया जाता है.
- सुबह स्नान के बाद भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं.
- फिर गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं.
- फिर शाम के समय जब सूर्यास्त होने वाला होता है, उस समय सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
- विभिन्न फूलों, बेलपत्रों से शिव को प्रसन्न करना चाहिए.
- शिवजी की पूजा के बाद आरती, भजन करें। इससे शिवजी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं.
- शनिवार होने की वजह से इस दिन व्रती को शनि महाराज के निमित्त पीपल में जल देना चाहिए.
- शनि स्तोत्र और चालीसा का पाठ करना भी इस दिन शुभ रहता है.
शनि प्रदोष वाले दिन छाया दान करें. इसके लिए तेल में एक सिक्का डालकर उसमें अपनी छाया देखें, और उस तरल को मंदिर में या किसी जरूरतमंद को दान करें. ऐसा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है और शनिदेव का आशीर्वाद मिलता है.
शनि प्रदोष तिथि के दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इसके साथ ही शनि चालीसा के साथ-साथ शनि स्त्रोत का पाठ करना उत्तम माना गया है. ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
शनि प्रदोष व्रत के दिन गरीबों, असहाय लोगों और जरूरतमंद लोगों को अन्न और जल आदि का दान करें.
शनि प्रदोष व्रत के दिन घर के प्रवेश द्वार पर घोड़े की नाल लगाएं. ऐसा करने से कारोबार में तरक्की और उन्नति होती है. घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है.
शनिवार के दिन उड़द दाल, खिचड़ी, सरसों का तेल, छतरी, काले तिल, काले जूते और कंबल आदि चीजों का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होंगे.