Shani Sade Sati: शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, जो प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं. हाल ही में शनि देव ने मीन राशि में प्रवेश किया है. इसके साथ ही कुछ राशियों पर साढ़ेसाती और ढैय्या प्रारंभ हो चुकी है. जब किसी जातक की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही होती है, तो यह समय उसकी परीक्षा की घड़ी बन जाता है.

ऐसा माना जाता है कि इस दौरान यदि कोई व्यक्ति गलत कार्य करता है, तो शनि उसे कड़ा दंड देते हैं. यह दंड केवल आर्थिक या शारीरिक कष्ट नहीं होता, बल्कि मानसिक तनाव, सामाजिक अपमान, और अवसरों की हानि के रूप में भी सामने आता है.

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यह समय पूरी तरह नकारात्मक नहीं होता (Shani Sade Sati)

साढ़ेसाती वह काल होता है जब शनि, चंद्र राशि से एक राशि पहले, उसी राशि में, और एक राशि बाद तक गोचर करते हैं. यह काल कुल साढ़े सात वर्षों का होता है. जब शनि चतुर्थ या अष्टम स्थान पर गोचर करते हैं, तब ढैय्या का प्रभाव होता है. इन दोनों ही स्थितियों में शनि व्यक्ति के जीवन की हर परत को परखते हैं—वह कैसे बोलता है, कैसे कमाता, और दूसरों से कैसा व्यवहार करता है.

हालांकि, यह समय पूरी तरह नकारात्मक नहीं होता. यदि व्यक्ति संयम, मेहनत, और ईमानदारी से काम करे, तो शनि उसे उन्नति भी प्रदान करते हैं.

साढ़ेसाती और ढैय्या के उपाय (Shani Sade Sati)

  • शनिवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करें और दीपक जलाएं.
  • शनि चालीसा या “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का नियमित जाप करें.
  • ज़रूरतमंदों को काले तिल, कंबल, या लोहे के बर्तन का दान करें.
  • शनि मंदिर में तेल चढ़ाएं और छाया दान करें.

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