लखनऊ. दिल्ली में श्री केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर का भूमि पूजन किए जाने पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि यह धाम की गरिमा को कम करने का कुत्सित प्रयास है.
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि आखिर क्यों केदारनाथ धाम के नाम से राजधानी दिल्ली में मंदिर बनाने की जरूरत पड़ रही है. उन्होंने केदारनाथ धाम की गरिमा और महत्व को कम करने का कुत्सित प्रयास बताया है. शंकराचार्य ने कहा कि मध्य हिमालय स्थित केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इसको पुराण में हिमालय तू केदारम कहा गया है. केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग सतयुग का ज्योतिर्लिंग कहा गया है.
उत्तराखंड सरकार को भी करना चाहिए विचार
उन्होंने कहा कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम के अस्तित्व और महत्व को कम करने की किसी भी योजना को सफल नहीं होने दिया जाएगा. शंकराचार्य ने कहा कि एक निजी ट्रस्ट के द्वारा केदारनाथ धाम नाम से मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एवं विधायकों का उपस्थित रहना उचित नहीं है. इसमें उत्तराखंड राज्य सरकार को भी विचार करना चाहिए.
इस तरह का कृत्य नहीं करने की दी सलाह
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि केदारनाथ धाम नाम से कहीं भी मंदिर की स्थापना नहीं की जा सकती है. यदि वे मंदिर की स्थापना ही करना चाहते हैं तो किसी अन्य नाम से मंदिर स्थापित कर सकते हैं. इसपर कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने संबंधित लोगों को जन भावनाओं का आदर करते हुए इस तरह का कृत्य नहीं करने की सलाह दी.
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ट्रस्ट ने कही ये बात
इस पर केदारनाथ धाम ट्रस्ट, बुराड़ी, दिल्ली के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सफाई देते हुए कहा है कि दिल्ली में जो मंदिर बनने जा रहा है, वो सिर्फ मंदिर है, धाम नहीं है. केदारनाथ धाम ट्रस्ट, दिल्ली इसका निर्माण कर रही है. उन्होंने कहा, ”उत्तराखंड सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है. उत्तराखंड के सीएम हमारे अनुरोध पर यहां भूमिपूजन के लिए आए थे. इसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है, वह हमारे व्यक्तिगत अनुरोध पर यहां आए थे.”
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