कुमार इंदर, जबलपुर। 3 साल 6 माह में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प लेकर चल रहे गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती आज जबलपुर पहुंचे, यहां शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने बयानों से एक बार फिर सियासी दलों और नेताओं के बयानों को आड़े हाथों लिया। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने मोहन भागवत के बयान को भी आड़े हाथों लिया उन्होंने कहा है कि भागवत छत्तीसगढ़ में कहते हैं हिंदू राष्ट्र बनाएंगे लेकिन दूसरे राज्यों में कहते हैं देश पहले से ही हिंदू राष्ट्र है। वहीं स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने हिंदू राष्ट्र की हुंकार भरने वाले संतो का विरोध और रुकावटे आने पर कहा कि, संतों के मार्ग में कहीं कोई बाधा नहीं है। सबका हित चाहने वाले के मार्ग में कोई बाधा नहीं होती। 

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स्वामी ने कहा  कि सरकार के समर्थन न करने से संतों का कुछ नहीं बिगड़ता हमें सरकार की चिंता नहीं है। संतों के समर्थन से ही सरकार है। उन्होंने कहा है कि 18 माह पहले उन्होंने हिंदू राष्ट्र को लेकर अपना संकल्प दोहराया था। लेकिन उनकी मंशा बिना मारपीट खून खराबे के हिंदू राष्ट्र बनाना है, क्योंकि सभी के पूर्वज सनातनी हैं। गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने हिंदू राष्ट्र के मुद्दे पर समुदायों को भड़काने और बांटने पर कहा कि फूट डालो और राजनीति करो पर काम राजनेता कर रहे हैं। उन्होंने नेताओं से पहले राजनीति की परिभाषा बताने के लिए कहा। उन्होंने कहा है कि राजनीति दंड नीति छत्र नीति धर्म नीति और अर्थ नीति राजनीति का पर्याय है। 

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स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने खुलासा किया कि विश्व बैंक ने 1999 में उनके पास आकर उनकी गुत्थी सुलझा ली थी,क्योंकि भारत से अच्छा अर्थशास्त्र दुनिया में कहीं नहीं है।  शंकराचार्य की माने तो राम राज्य को सहने की क्षमता किसी मे नहीं है, क्योंकि जो हिंदू राष्ट्र को नहीं सह सकते, वे रामराज्य को क्या सह पाएंगे। इसके साथ ही स्वामी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के छत्तीसगढ़ में रामराज्य जैसे हालात बताने पर भी उन्होंने तंज कसा।  उन्होंने कहा है कि वहां कांग्रेस की सरकार है इसलिए उन्होंने ऐसा कहा है। आरक्षण के मुद्दे पर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि प्रतिभा की हानि प्रगति की हानि प्रायोगिक नहीं है,  प्रतिशोध की भावना और परतंत्रता है। 

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उन्होंने अल्लाह के शब्द को भी संस्कृत का शब्द करार दिया जिसका अर्थ है 10 महाविद्या। ब्राह्मणों द्वारा वर्ण व्यवस्था बनाने पर मोहन भागवत पर भी स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत ब्राह्मण हैं उनके जो पूर्वज हैं वे स्वर्ग में रो रहे होंगे।  फर्जी शंकराचार्य के मुद्दे पर भी स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने खुलकर बयान दिया। उन्होंने कहा है कि समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने शंकराचार्य बनाए हैं। मुलायम सिंह ने अंगद नामक व्यक्ति को चार पीठ का शंकराचार्य बनाकर घुमाया। लालू यादव ने रमेराम नामक व्यक्ति को शंकराचार्य बनाया जिनको दंडी स्वामी बनाने का अधिकार नहीं है उनको श्रृंगेरी वालों ने दंडी स्वामी बनाया। जैन सिख समाज के संतो द्वारा सेवा प्रकल्प पर भी निश्चलानंद सरस्वती ने खुलकर कहा। उन्होंने कहा है कि नकली पीएम सीएम राज्यपाल नहीं है। लेकिन नकली शंकराचार्य हैं, शासन की सहमति नहीं होती तो कैसे नकली शंकराचार्य बनकर घूम सकते हैं। ऐसे लोगों को सजा क्यों नहीं मिलती।  असली शंकराचार्य से टकराने वाली पार्टी जमीन पर चली गई है।

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किन्नरों को धर्माचार्य पद देने पर भी उन्होंने खुलकर बयान दिया। उनका कहना है कि, नकली का खंडन करना उनका प्रचार करना होगा वहीं स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने नरसिंह राव सरकार के दौरान उनके अपहरण की साजिश रचे जाने का भी आरोप लगाया है। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि नरसिंह राव सरकार को उन से टकराने का अंजाम कांग्रेस पार्टी का भुगतना पड़ा। यही नहीं मुलायम सिंह और लालू यादव को भी उन से टकराने का अंजाम भुगतना पड़ा।

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