प्रयागराज। महाकुंभ पहुंचे स्वामी सदानंद सरस्वती ने सनातन बोर्ड और भारत की एकता को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करना हमारा कर्तव्य है। आने वाले युवा पीढ़ी है, उसके गले के नीचे धर्म को कैसे उतारा जाए। इसके लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। भारत की समृद्ध संस्कृति के बारे में युवा पीढ़ी जानेगी नहीं तो उसका विस्तार कैसे होगा। वहीं भारत की एकता को लेकर उन्होंने कहा कि कुंभ में भारत की एकता देखने को मिल रही है, जो लोग कहते है कि अनेकता में एकता कैसे सिद्ध होगी। उसका सबसे बड़ा उदाहारण महाकुंभ में देखाई दे रहा है। संगम तट पर करोड़ों लोग एक साथ स्नान कर रहे हैं। अनेकता में एकता ऐसी ही सिद्ध की जा सकती है।

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सनातनियों को अपनी मंदिर वापिस चाहिए

स्वामी सदानंद सरस्वती ने सनातन बोर्ड को लेकर कहा कि इसमें किसी भी राजनीतिक लोगों का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। हमारे मंदिरों की व्यवस्था शासन के अधीन क्यों है ? सनातनियों को अपनी मंदिर वापिस चाहिए। जब मस्जिद की व्यवस्था शासन के अधीन नहीं है। गिरजाघर और गुरुद्वारे की व्यवस्था शासन के अधीन नहीं है तो हमारे तिरुपति बालाजी, बद्रीनाथ और द्वारकाधीश मंदिर शासन के अधीन क्यों है। इन्हीं सब बातों को लेकर ही सनातन बोर्ड का गठन किया जा रहा है। उन्होंने वक्फ को लेकर कहा कि इसका उल्लेख न तो कुरान में होता है और न ही संविधान में कहीं है, ये कहां से आ गया।

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विपक्षी दलों को लेकर कही ये बात

स्वामी सदानंद सरस्वती ने विपक्षी दलों को लेकर कहा कि सब अपना-अपना काम कर रहे हैं। उनका जो काम है, वो कर रहे हैं। हमार जो काम है, उसे हम रहे हैं। मैं किसी रानजीतिक सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझता और न ही किसी राजनेता के टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दूंगा। राजनीतिक दल अपने अधिवेशन पर करोड़ों रुपए खर्च करते हैं तो कुछ नहीं होता है। स्वामी सदानंद सरस्वती इस दौरान पूरे जोर-शोर के साथ सनातन बोर्ड के गठन की मांग को उठाया और कहा कि हमे अपने सारे मंदिर हर हालत में वापस चाहिए।