वाराणसी. ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था धर्म शास्त्र के अनुकूल है. आज कल संविधान को मानने वाले धर्म शास्त्र से अपनी दूरी समझते हैं.

शंकराचार्य ने कहा कि हम चाहते हैं कि संविधान के विशेषज्ञ और धर्म शास्त्र के जानकार दोनों मिलकर एक साथ बैठें. जिससे दोनों में विरोधाभास समाप्त हो. शंकराचार्य जी ने कहा कि उनकी इच्छा है कि धर्म शास्त्र के मुकदमों को वाराणसी न्यायालय में धर्म शास्त्रों के अनुसार ही लड़ा जाए.

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शंकराचार्य ने कहा कि न्याय भी धर्म का अंग है. समाज न्याय से वंचित होकर नहीं चल सकता है. अधिवक्ता का धर्म है कि समाज का कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित न रह जाए इस बात को सुनिश्चित करे. बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि पहले जब न्यायपालिका नहीं होती थी तो राजा गुरु से पूछकर न्याय करते थे. आज भी हम लोग के सनातन धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु शंकराचार्य जी की शरण में आए हैं ताकि न्यायपथ पर चल सकें.