प्रयागराज. आदिपुरूष पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि आदिपुरुष जैसी फिल्में हिंदुओं की सहिष्णुता का दुरुपयोग है, यह सर्वदा अनुचित है। उन्होंने कहा कि अगर दूसरे धर्मों को लेकर इस तरह की फिल्म बने तो समझा जा सकता है कि पूरे देश में क्या स्थिति उत्पन्न होगी।

स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि फिल्म के निर्माता और निर्देशकों इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि फिल्मों का फिल्मांकन इस प्रकार से होना चाहिए कि उससे किसी भी धर्म के अनुयायियों को ठेस नहीं पहुंचे। इस तरह की फिल्मों के बनने पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।

स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि सेवा के नाम पर राजनेता गरीबी पालते हैं। जनता की गरीबी का लाभ राजनेता लेते हैं। इसलिए मैं कहता हूं कि हर हिन्दू परिवार से रोज एक घंटा और एक रुपये निकलना चाहिए। फिर अपने को हर प्रकार से व्यवस्थित करने में उसी पैसे और समय का उपयोग हो। इससे ही हिन्दुओं की 80 प्रतिशत समस्या का समाधान अपने आप हो जाएगा। स्वामी निश्चलानंद ने झूंसी स्थित शिवगंगा आश्रम में शनिवार को यह बातें कही।

पुरी पीठाधीश्वर ने कहा कि समलैंगिकता स्वैच्छचारिता की जनक है। इसे किसी भी सूरत में बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। समलैंगिक विवाह मानवता के लिए कलंक है। पूरे विश्व में समलैंगिक विवाह अनिवार्य हो जाए तो वंश परंपरा का लोप हो जाएगा। समलैंगिकता समाज के लिए बेहद घातक है।

केंद्र सरकार के 9 साल के कार्यकाल के सवाल पर पुरी शंकराचार्य ने कहा कि सीमा की सुरक्षा की दृष्टि से शासनकाल को उत्तम कह सकते हैं। व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री मोदी घर भरने वालों में से नहीं है। प्रधानमंत्री कूटनीति के पांच प्रभेद नमन, मिलन, दमन, अंकन और अनुगमन की नीति पर चलते हैं। कूटनीति में प्रधानमंत्री माहिर हैं। इसलिए उनका नाम विश्व स्तर पर है।

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