रायपुर। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ में श्रद्धा की प्रतिमूर्ति उपाधि से अलंकृत शांति देवी बैद ने बीते रविवार 1 सितंबर को संथारा का विधिवत प्रत्यखान किया। यह समारोह तेरापंथ समाज के श्रद्धालुओं और परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में संपन्न हुआ।

बता दें कि 86 वर्षीय शांति देवी बैद ने 31 वर्षों से वर्षीतप साधना की है और इस व्रत के तहत संथारा की प्रक्रिया को अपनाया है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुनि श्री सुधाकर कुमार जी और मुनि श्री नरेश कुमार जी ने उनका प्रत्यखान किया। संथारा की प्रक्रिया में श्रद्धालु अपनी पूरी चेतन अवस्था और उच्च मनोभाव के साथ जीवन के अंतिम समय में आत्मा की शुद्धता और आध्यात्मिकता को प्राप्त करने का संकल्प लेते हैं। श्रीमती बैद ने गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी की आज्ञा प्राप्त करने के बाद इस व्रत का संकल्प लिया। इस संकल्प में देव, गुरु, और धर्म की साक्षी में यह महान व्रत लिया गया, जो उनके धर्म के प्रति गहरी निष्ठा और समर्पण को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त बुधवार 4 सितंबर को शाम 7:30 बजे उपासक मनीष नाहर ने भी गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी की आज्ञा से चोविहर का त्याग किया। चोविहर का त्याग एक धार्मिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने चारों आरों (शारीरिक, मानसिक, वाणी, और आचरण) का त्याग कर अपनी धार्मिक प्रतिबद्धता और अनुशासन को प्रकट करता है। मनीष नाहर जी ने इस त्याग के माध्यम से अपनी गहरी धार्मिक प्रतिबद्धता और अनुशासन का प्रदर्शन किया।

इस अवसर पर, तेरापंथ समाज के सभी सदस्यों ने शांति देवी बैद और मनीष नाहर जी के उच्च मनोबल और संकल्प की सराहना की हैं। साथ ही समाज के लोगों ने उनके स्वास्थ्य और चित्त समाधि के लिए शुभकामनाएँ भी प्रेषित की हैं।

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